यूसुफ डिकीच का अनोखा अंदाज़ बना चर्चा का विषय
पेरिस 2024 ओलंपिक्स के दौरान, तुर्की के 51 वर्षीय निशानेबाज़ यूसुफ डिकीच ने अपने अलग अंदाज़ और प्रतियोगिता में अपने प्रदर्शन से खूब सुर्खियां बटोरीं। इस प्रतिस्पर्धा ने उन्हें विश्व भर में लोकप्रिय बना दिया। यह उनके पांचवें ओलंपिक्स थे और इस बार उनकी विशेष शैली ने सोशल मीडिया पर ध्यान आकर्षित किया।
सहज और सरल शैली में जीता सिल्वर
डिकीच और उनकी साथी सेव्वल इलायडा तरहान ने तुर्की को 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम प्रतियोगिता में पहला शूटिंग मेडल दिलाया। यही नहीं, डिकीच की शैली ने उन्हें एक प्रकार की विशेषता दी। वे बिना किसी विशेष शूटिंग चश्मे और कान की सुरक्षा के निशाना साधते नज़र आए।
अक्सर शूटिंग प्रतियोगिताओं में देखा जाता है कि प्रतियोगी विशेष प्रकार के चश्मे पहनते हैं जो गैर-प्रभावित आंख की दृष्टि को बाधित करते हैं या चकाचौंध को कम करते हैं। किन्तु डिकीच ने सिर्फ साधारण चश्मा पहना और उनके कानों में कोई सुरक्षा उपकरण नहीं था। उनकी यह शैली और सहजता ने उन पर सभी का ध्यान केंद्रित किया।
डिकीच की शांतमयी और आरामदायक मुद्रा - अक्सर उनके बायें हाथ को जेब में डालकर खड़े होने की उनकी आदत - ने उन्हें खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच एक प्रसंशनीय और विनोदी प्रतीक बना दिया।
दबाव और चिंताओं के बावजूद दृढ़ता
हालांकि डिकीच का आचरण प्रतियोगिता के दौरान बहुत शांत और स्थिर दिख रहा था, उनकी साथी तरहान के अनुसार, वे अंदर से गहरे दबाव और चिंता में थे। यह बताता है कि केवल बाहरी स्थिरता नहीं, बल्कि वे तनाव और कठिन परिस्थितियों में भी सामंजस्य बनाना जानते हैं।
चश्मों का ओलंपिक्स
डिकीच की यह कहानी उन कई ओलंपिक्स खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गई है, जिन्हें 'चश्मों का ओलंपिक्स' कहा जा रहा है। कई खिलाड़ियों ने अपने महत्वपूर्ण प्रदर्शन के दौरान चश्मों का उपयोग किया, जैसे कि अमेरिकन जिम्नास्ट स्टीफन नेडोरोसिक, जिन्होंने पोमेल हॉर्स पर कांस्य पदक जीतते समय क्षणभर पहले तक चश्में पहने थे। इसी तरह, ऑस्ट्रेलियाई तैराक केली मेकेओन ने भी 100 मीटर बैकस्ट्रोक जीतने के बाद स्कोरबोर्ड देखने के लिए अपने चश्मों पर भरोसा किया।
भविष्य की योजनाएं
यूसुफ डिकीच और उनकी साथी तरहान अब 2028 के ग्रीष्म ओलंपिक्स की योजना बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि वे गोल्ड मेडल जीतें और अपने देश की शान बढ़ाएँ।
डिकीच की इस अनोखी शैली और एपरोच ने उन्हें 2024 पेरिस ओलंपिक्स का एक प्यारा और यादगार चेहरा बना दिया है। उनकी धीरज और समर्पण ने यह साबित कर दिया कि प्रतिस्पर्धा में केवल प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ेगा प्रत्येक पहलू भी महत्वपूर्ण होता है।
डिकीच और तरहान की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी सरलता और सटीकता भी चमत्कार कर सकती है। उनके इस सफर को देखना और समझना अपने आप में एक प्रेरणास्रोत है, और यह हमें प्रेरित करता है कि हम भी जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना धीरज और शांति से करें।