नेतवर सिंह: एक उत्कृष्ट सेवक
पूर्व विदेश मंत्री नेतवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से पहले उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा प्रकट की थी कि उनकी पैतृक भूमि भारतपुर में एक स्मारक बने। नेतवर सिंह ने इसके लिए 6 बीघा भूमि खरीद रखी थी, जिससे उनकी इस इच्छा का महत्व और स्पष्ट हो जाता है। यह भूमि राजस्थान के भारतपुर जिले में स्थित है, जो उनके दिल के करीब थी।
राजनीतिक और कूटनीतिक करियर
नेतवर सिंह का नाम भारतीय राजनीति और कूटनीति में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। वे 2004 से 2005 तक कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका करियर विभिन्न प्रमुख पोस्टिंग्स के साथ विस्तारित रहा, जिसमें चीन, अमेरिका, पाकिस्तान और ब्रिटेन शामिल थे। उनकी कूटनीतिक समझ और राजनीतिक समझदारी ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया।
सम्मान और पुरस्कार
नेतवर सिंह को 1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। उनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि साहित्यिक जगत में भी रहा है। उन्होंने 'द लेगेसी ऑफ नेहरू: अ मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माय चाइना डायरी 1956-88' जैसे महत्वपूर्ण किताबें लिखी।
स्मारक की महत्वाकांक्षा
नेतवर सिंह की अंतिम इच्छा थी कि उनकी पैतृक भूमि पर एक स्मारक बने। इसके लिए उन्होंने पहले ही 6 बीघा भूमि खरीद ली थी। उनकी इस इच्छा से प्रकट होता है कि वे अपने जीवन के अंतिम समय में भी अपने समर्पण और उपलब्धियों को संरक्षित रखना चाहते थे। स्मारक उनके जीवन और काम की अद्वितीयता को दर्शाएगा।
पारिवारिक और राजनीति दुनिया की प्रतिक्रिया
नेतवर सिंह के निधन के बाद समाज और राजनीतिक जगत से कई श्रद्धांजली संदेश आ रहे हैं। लोगों ने उनके योगदान की सराहना की और उनकी याद में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उनकी पैतृक भूमि भारतपुर में अब उनके नाम का स्मारक बनने की उम्मीद है, जो उनके जीवन के सफर को सजीव रखेगा।
नेतवर सिंह की वसीयत
नेतवर सिंह की वसीयत में साफ था कि उनकी इच्छा स्मारक बनाने की थी। इस योजना को पूरा करने के लिए उनके परिवार और समर्थकों की मदद की आवश्यकता होगी। यह स्मारक उनकी याद को हमेशा ताजा रखेगा और उनकी अमूल्य सेवाओं का स्मरण कराएगा।