2025 में सोना‑चांदी के भाव कितने बढ़ेंगे? विशेषज्ञों की भविष्यवाणियां

अक्तू॰ 7, 2025
raja emani
2025 में सोना‑चांदी के भाव कितने बढ़ेंगे? विशेषज्ञों की भविष्यवाणियां

जब अमित कुमार, मुख्य विश्लेषक निफ्टी एसेट मैनेजमेंट ने 2 अक्टूबर 2025 को 2025 का सोना‑चांदी बाजारमुंबई में आयोजित सम्मेलन में कहा, “सोना और चांदी की कीमतें इस साल ऐतिहासिक ऊँचाइयों पर पहुँच रही हैं,” तो निवेशकों का ध्यान तुरंत इस दिशा में केंद्रित हो गया।

2025 के सोना‑चांदी बाजार की पृष्ठभूमि

पिछले तीन वर्षों में वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, डॉलर की लगातार कमजोरी, और कई देशों की मौद्रिक नीतियों में बदलाव ने कीमती धातुओं को सुरक्षित शरणस्थल बना दिया। भारत में, विशेषकर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नीतियों के कारण रूपया कमजोर हुआ, जिससे सोने की घरेलू मांग शिखर पर पहुँची। इसके अलावा, ग्रीष्मकालीन ऊर्जा नीति में वृद्धि ने गुजरात जैसे औद्योगिक केंद्रों में सिल्वर की मांग को तेज़ कर दिया।

वर्तमान कीमतें और मौसमी दृष्टिकोण

सितंबर 2025 के अंत तक, सोने की 24 कैरट कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग $2,080 प्रति औंस रही, जबकि भारतीय बाजार में काफी वांछनीय प्रीमियम के साथ ₹55,500 प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। चांदी की कीमत $46 प्रति ट्रॉय औंस पर स्थिर रही, जो पिछले वर्ष के $33 से एक बड़ा अंतराल दर्शाता है। इस समय‑सीमा में, Silver ETF में निवेशक प्रवाह ने औसत दैनिक ट्रेड वॉल्यूम को 30% तक बढ़ा दिया।

विशेषज्ञों की प्रमुख भविष्यवाणियां

इंडियन गोल्ड फोरम के प्रधान, समीरा शेट्टी, वरिष्ठ अर्थशास्त्री के अनुसार, “वर्तमान में सोना $4,000 के स्तर तक पहुँच सकता है, बशर्ते मौद्रिक सख्ती और भू‑राजनीतिक तनाव जारी रहें।” उन्होंने कहा कि यदि डॉलर की गिरावट जारी रही तो 2025 के अंत तक $4,500‑$5,000 की श्रेणी संभव है।

दूसरी ओर, निफ्टी एसेट मैनेजमेंट की अपनी रिपोर्ट में चांदी के लिए 40‑50% की संभावित सालाना वृद्धि का आकलन किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि औद्योगिक मांग, विशेषकर सोलर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स, अगले दो‑तीन वर्षों में उत्पादन क्षमता से तेज़ी से बढ़ेगी, जिससे कीमत $55‑$60 तक पहुंच सकती है।

सप्लाई‑डिमांड और उद्योग प्रभाव

वैश्विक खदानों से सोने की खुदरा उत्पादन 2025 में 3,300 टन पर स्थिर रही, जबकि निवेशकों की माँग ने पिछले दो वर्षों में 15% की अतिरिक्त खरीदारी को प्रेरित किया। चांदी के मामले में, माइक्रो‑बोरिंग और शुद्धिकरण क्षमताओं में तकनीकी उन्नति के बावजूद, भौतिक आपूर्ति अभी भी नाजुक है। इसलिए, ETF खरीदारी और रीटेल माँग की लहरें कीमत को अस्थिरता के बावजूद ऊपर धकेल रही हैं।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में नई परियोजनाओं के कारण, 2025 की पहली छमाही में भारत ने 6.5 मिलियन किलowatt‑घंटा सौर क्षमता जोड़ने की योजना बनाई है, जिससे सिल्वर की औद्योगिक मांग में लगभग 12% की बढ़ोतरी की उम्मीद है।

भविष्य की संभावनाएँ और जोखिम

भविष्य की संभावनाएँ और जोखिम

यदि केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक सख्ती घटती है और डॉलर फिर से मूल्यवधान (appreciates) करता है, तो सोने की तेज़ी से बढ़ती कीमतें घट सकती हैं। वहीं, यदि भू‑राजनीतिक तनाव, जैसे यूक्रेन‑रूस या मध्य‑पूर्व में टकराव, जारी रहता है, तो सोना और चांदी दोनों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रीमियम मिल सकता है। निवेशकों को यह देखना होगा कि क्या कच्चे माल की आपूर्ति‑श्रृंखला में व्यवधान या नई तकनीकी खोजें बाजार संतुलन को बाधित करेंगी।

  • 2025 के पहले तीन तिमाही में सोने की कीमत में 40% से अधिक की बढ़ोतरी।
  • चांदी का औसत मूल्य $46/औंस, 2025 के अंत तक $55‑$60 तक पहुंचने की संभावना।
  • ETF प्रवाह निवेशक रुचि को 30% तक बढ़ा रहा है।
  • भारतीय बाजार में सोना ₹55,500/10 ग्राम, विश्व स्तर पर $2,080/औंस।

निवेशकों के लिए प्रमुख सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे‑समय में तेज़ी से बढ़ती कीमतों से लाभ उठाने के लिए, 1‑2 % के स्टॉप‑लॉस के साथ हाइड्रॉलिक पोर्टफोलियो बनाना उचित रहेगा। दीर्घ‑कालिक निवेशक अपने पोर्टफोलियो में सोना और चांदी को 10‑15% तक सीमित करके जोखिम को संतुलित कर सकते हैं। साथ ही, सतत आपूर्ति‑डिमांड रिपोर्टों पर नजर रखना और मौद्रिक नीति बदलावों का ट्रैक रखना आवश्यक है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सोने की कीमत 2025 में $4,000 तक पहुँचने की संभावना कितनी है?

विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि डॉलर की गिरावट और भू‑राजनीतिक तनाव जारी रहता है, तो साल के अंत तक सोना $4,000‑$5,000 के दायरे में पहुँच सकता है, लेकिन यह अनुमान मौद्रिक नीति में अचानक बदलाव पर निर्भर करता है।

चांदी के लिए 2025 में कौनसे उद्योग मुख्य मांग पैदा कर रहे हैं?

सौर पैनल उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक वाहन बैटरियों और उच्च‑शुद्धता वाले इलेक्ट्रॉनिक्स में बढ़ती मांग ने चांदी की औद्योगिक माँग को 12‑15% तक बढ़ाया है, जिससे कीमतों में ऊपर की दिशा में दबाव बनता है।

ETF प्रवाह का सोना‑चांदी के बाजार पर क्या असर है?

ETF में बड़े पैमाने पर निवेश ने त्वरित तरलता प्रदान की है, जिससे दैनिक ट्रेड वॉल्यूम 30% तक बढ़ा है। यह निवेशक मनोवृत्ति को सुरक्षित शरणस्थल की ओर तेज़ी से मोड़ता है, जिससे कीमतें उच्च स्तर पर स्थिर रहती हैं।

भारतीय निवेशकों के लिए सोना‑चांदी में निवेश का जोखिम क्या है?

मुख्य जोखिम में मौद्रिक नीति में अचानक सख्ती, डॉलर के अप्रत्याशित मूल्यवधान, और भौतिक आपूर्ति‑बांटवारे में व्यवधान शामिल हैं। इन जोखिमों को कम करने के लिए विविधीकरण और स्टॉप‑लॉस सेटिंग्स का उपयोग सलाह योग्य है।

भविष्य में सोना‑चांदी के मूल्य को कौनसी प्रमुख बात निर्धारित करेगी?

डॉलर की शक्ति, केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति, भू‑राजनीतिक तनाव, और उद्योग‑स्तरीय मांग (सौर, इलेक्ट्रॉनिक्स) मिलकर मूल्य में दिशा तय करेंगे। इन संकेतकों पर नज़र रखकर निवेशक बेहतर निर्णय ले सकते हैं।

1 Comments

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    Agni Gendhing

    अक्तूबर 7, 2025 AT 22:07

    सरकार के सोने‑चांदी के आंकड़े तो बस एक बड़ा पेंटफ्लैट है, हर बार वादे वही,‑‑बढ़ती कीमतों के पीछे धागे हैं‑‑जैसे विदेशी लीवर द्वार।
    अभी जो डॉलर कमजोर हो रहा है, वो असली में RBI की छिपी हुई प्लानिंग है, जहाँ बड़ी बैंकों को फ़ायदा है।
    नहीं तो इतना “इतिहासिक” क्यों कहा जाता है?‑‑सिर्फ मीडिया कोच का स्क्रिप्ट।
    तो सुनो, अगर आगे भी “सही” दिशा में पॉलिसी नहीं बदली तो ये बुलबुला फुटेगा।

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