बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT-Bangladesh) ने 17 नवंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को मानवता के खिलाफ अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई। ये फैसले 2024 के जुलाई-अगस्त के बीच हुए छात्र आंदोलन के दौरान 1,400 से अधिक लोगों की हत्याओं से जुड़े हैं — एक ऐसी घटना जिसने देश को तबाही के किनारे ले गई थी। तीसरे आरोपी, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, जिन्होंने अपनी गलती मान ली और सरकार के गवाह के रूप में गवाही दी, को सिर्फ पांच साल की जेल हुई। ये फैसला न सिर्फ एक न्यायिक घटना है, बल्कि एक राजनीतिक तूफान की शुरुआत है।
आंदोलन से फैसले तक: एक भयानक श्रृंखला
सब कुछ 2 जुलाई 2025 को शुरू हुआ, जब शेख हसीना को अदालत की अवमानना के लिए 6 महीने की कारावास की सजा सुनाई गई। उसके बाद 10 जुलाई को ICT-Bangladesh ने तीनों आरोपियों पर पांच मामलों में औपचारिक अभियोग लगाया। अगस्त 2025 में मुकदमा शुरू हुआ — और ये न्याय बहुत तेजी से चला। 23 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हुई, और 13 नवंबर को फैसले की तारीख 17 नवंबर तय हुई। इतना तेज़ न्याय — जिसमें एक देश के पूर्व नेता की जान लग रही है — बहुत से लोगों के लिए अजीब लग रहा है।
गवाही जिसने सब कुछ बदल दिया
सितंबर 2025 में जब चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून अदालत में आया, तो उसने एक ऐसा बयान दिया जिसने पूरे मामले का रुख बदल दिया। उसने कहा: "यह नरसंहार शेख हसीना और असदुज्जमान के आदेश पर हुआ था। कृपया मुझे माफ कर दीजिए।" उसने न सिर्फ अपनी भूमिका स्वीकार की, बल्कि बार-बार पीड़ित परिवारों से माफी मांगी। उसकी गवाही ने न्यायाधिकरण को शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाने का सबूत दे दिया। लेकिन यहां एक बड़ा सवाल उठता है — जिसने हेलिकॉप्टर से छात्रों पर गोली चलाई, उसे सिर्फ पांच साल की जेल? ये न्याय नहीं, लगता है एक बाजारी बातचीत।
पीड़ित परिवारों का गुस्सा: "ये सजा नहीं, अपमान है"
एक पीड़ित परिवार के सदस्य ने स्थानीय टीवी चैनल को बताया: "हमारा बेटा एक अकेला छात्र था, बस अधिकारों के लिए खड़ा था। उसकी गोली मार दी गई, और जिसने गोली चलाई, उसे पांच साल की जेल? ये सजा नहीं, अपमान है।" उन्होंने कहा कि वे अल-मामून के खिलाफ अपील करेंगे — या तो उम्रकैद होनी चाहिए, या फांसी। बांग्लादेश के लाखों परिवार जिन्होंने अपने बच्चों को खो दिया, उनके लिए ये फैसला एक अंतिम धक्का है।
शेख हसीना का बेटा: "ये एक दिखावा है"
शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने एनडीटीवी को बताया: "मुकदमा 140 दिनों में पूरा हो गया? ये असंभव है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार असंवैधानिक है। ये फैसला पहले से तय था।" उन्होंने आगे कहा कि यूनुस सरकार इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहती है — और ये फैसला उसका एक हिस्सा है। शेख हसीना ने अपने संदेश में कहा: "यह फैसला मायने नहीं रखता। जब कानून का शासन वापस आएगा, तो यह रद्द कर दिया जाएगा।"
ढाका में फिर से आग: हिंसा का डर
फैसले के तुरंत बाद ढाका में हिंसा भड़क उठी। शेख हसीना की पार्टी ने 18 नवंबर को देशभर में बंद का ऐलान किया। राजधानी में विरोध प्रदर्शन करने वालों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया गया। सुरक्षा बलों ने बाजारों, स्कूलों और अस्पतालों के आसपास बैरिकेड लगा दिए। लोग घरों में बंद हैं। एक रात्रि राजधानी में गोलियों की आवाज़ सुनाई दी — जिसके बाद बिजली बंद हो गई। ये वही तनाव है जो 2024 में छात्रों को गोली मारे जाने का कारण बना।
भारत की चुप्पी: "हम ध्यान दे रहे हैं"
भारत ने इस फैसले पर बयान दिया: "हम बांग्लादेश के हितों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।" ये शब्द बहुत धीमे हैं। भारत ने न तो फैसले की आलोचना की, न ही समर्थन किया। ये चुप्पी बताती है कि नई बांग्लादेशी सरकार के साथ भारत के राजनीतिक और सुरक्षा हित कितने गहरे हैं। लेकिन ये चुप्पी भी एक संकेत है — कि भारत अब भी एक राजनीतिक उलटफेर की उम्मीद कर रहा है।
क्या अब बांग्लादेश का भविष्य अज्ञात है?
शेख हसीना के खिलाफ फैसला एक न्यायिक घटना नहीं, एक राजनीतिक अंत है। वह जिस देश का नेतृत्व करती थीं, उसे अब एक नए शासन के नाम पर बदल दिया जा रहा है। लेकिन जब एक नेता को फांसी दे दी जाती है, तो वह उसकी विरासत को नहीं मिटा पाता — वह उसे एक शहीद बना देता है। अगले कुछ महीनों में बांग्लादेश की राजनीति और सामाजिक संरचना एक नए विकल्प के लिए लड़ेगी — और इस लड़ाई में कितने और बच्चे खोए जाएंगे?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शेख हसीना को मौत की सजा क्यों सुनाई गई?
शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान 1,400 से अधिक लोगों की हत्याओं के लिए मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई। अदालत ने पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून की गवाही के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि वे आदेश देने वाली शीर्ष नेतृत्व थीं।
चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को सिर्फ 5 साल की सजा क्यों मिली?
अल-मामून ने अपनी भूमिका स्वीकार की और सरकार के गवाह के रूप में शेख हसीना और असदुज्जमान के खिलाफ गवाही दी। इसके बदले उसे भाग्यवश न्यायाधिकरण ने कम सजा दी। लेकिन पीड़ित परिवार इसे अन्याय मानते हैं — क्योंकि उसने हेलिकॉप्टर से छात्रों पर गोली चलाई थी।
भारत ने इस फैसले पर क्यों चुप रहा?
भारत ने बयान में कहा कि वह बांग्लादेश के हितों के लिए प्रतिबद्ध है — लेकिन किसी भी तरह के राजनीतिक रुख की ओर इशारा नहीं किया। यह चुप्पी बताती है कि भारत अपने सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए नई बांग्लादेशी सरकार के साथ संबंध बनाए रखना चाहता है, भले ही न्याय विवादास्पद हो।
शेख हसीना की पार्टी क्या कर रही है?
शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश लीग ने 18 नवंबर 2025 को देशभर में बंद का ऐलान किया है। उनके नेता इस फैसले को "अवैध और राजनीतिक दिखावा" बता रहे हैं। ढाका में विरोध प्रदर्शनों के बाद सुरक्षा बलों ने गोली चलाने का आदेश दिया है — जिससे आगे बढ़ने वाले विरोध और भी खूनी हो सकते हैं।
क्या ये फैसला रद्द हो सकता है?
शेख हसीना का कहना है कि जब कानून का शासन वापस आएगा, तो यह फैसला रद्द हो जाएगा। लेकिन अगर यूनुस सरकार अपने अधिकार को बरकरार रखती है, तो इस फैसले को रद्द करने का कोई वास्तविक तरीका नहीं है। अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को बांग्लादेश के भीतर रद्द करने का कोई विधिक तरीका नहीं है।
2024 के छात्र आंदोलन के बारे में क्या था?
2024 के जुलाई-अगस्त में बांग्लादेश के छात्रों ने नौकरी के आरक्षण के लिए विरोध किया। जब शासन ने इसे दमन करने के लिए सैन्य बलों को भेजा, तो देश भर में हिंसा फैल गई। लगभग 1,400 छात्र और नागरिक मारे गए। ये आंदोलन बांग्लादेश के इतिहास का सबसे खूनी विरोध था — और अब इसके लिए न्याय का दावा किया जा रहा है।