भारत निर्वाचन आयोग ने 3 नवंबर 2025 को बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी, जिसमें 3,66,000 नाम हटा दिए गए — इनमें से लगभग 35,000 नाम आधार कार्ड, राशन कार्ड या बिजली बिल जैसे आवश्यक दस्तावेज न दिए जाने के कारण सूची से हटाए गए। यह कार्रवाई भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान का हिस्सा है। सर्वोच्च न्यायालय के 14 अगस्त 2025 के आदेश के बाद यह अभियान शुरू हुआ, जिसमें बिहार की मतदाता सूची की पारदर्शिता को लेकर गहन जांच का निर्देश दिया गया था।
कैसे बनी यह सूची? 90% नाम फॉर्म-7 से हटे
निर्वाचन आयोग के अनुसार, हटाए गए 3,66,000 नामों में से लगभग 90% — यानी 3,30,000 नाम — फॉर्म-7 के आधार पर हटाए गए। यह फॉर्म वह है जिसके जरिए कोई व्यक्ति किसी दूसरे मतदाता के नाम को गलत या अवैध तरीके से सूची में शामिल होने का आरोप लगाता है। इसके बाद निर्वाचन अधिकारी जांच करते हैं और अगर साबित हो जाता है कि वह व्यक्ति उस इलाके में नहीं रहता, तो उसका नाम हटा दिया जाता है।
लेकिन जो 35,000 नाम दस्तावेजों की कमी के कारण हटाए गए, वो अलग कहानी हैं। इन लोगों ने अपना नाम जोड़ने के लिए फॉर्म-6 भरा था, लेकिन आधार कार्ड, वोटर आईडी, बैंक पासबुक या निवास प्रमाण पत्र जैसे कोई भी दस्तावेज समय पर नहीं दिया। अधिकारियों के मुताबिक, यह ज्यादातर ग्रामीण इलाकों, शहरी गरीब इलाकों और नए निवासियों की समस्या है — जहां दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया धीमी या अज्ञात होती है।
7.42 करोड़ मतदाता बचे, 47 लाख हटाए गए
बिहार में अब कुल 7.42 करोड़ मतदाता हैं। यह आंकड़ा ड्राफ्ट सूची के 7.89 करोड़ से 47 लाख नाम हटाने के बाद आया है। यह एक ऐतिहासिक सफलता है — पिछले चुनावों में बिहार में 1.2 करोड़ से ज्यादा नाम अवैध या डुप्लीकेट थे। अब आयोग ने इसे लगभग एक-चौथाई तक कम कर दिया है।
लेकिन यहां एक बड़ा सवाल है — क्या ये 35,000 लोग वाकई अवैध थे? नहीं। कई ने दस्तावेज भेजे थे, लेकिन उनकी प्रक्रिया में देरी हो गई। कुछ ने आधार कार्ड भेजा, लेकिन उस पर नाम गलत था। कुछ ने राशन कार्ड भेजा, लेकिन उसकी डिजिटल कॉपी अपलोड नहीं हुई। ये तकनीकी गलतियां हैं — न कि अवैध वोटर।
क्या कर सकते हैं वोटर? 10 नवंबर तक मौका
अगर आपका नाम सूची से हटा दिया गया है, तो घबराएं नहीं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO), बिहार ने स्पष्ट किया है कि ये नाम अस्थायी हटाए गए हैं। आपको अभी भी 10 नवंबर 2025 तक फॉर्म-6 भरकर अपना नाम वापस जोड़ने का मौका है। इसके लिए आप ऑनलाइन ceoelection.bihar.gov.in या electoralsearch.eci.gov.in पर जा सकते हैं।
अगर आपको ऑनलाइन भरने में दिक्कत हो रही है, तो अपने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से संपर्क करें। वो आपको फॉर्म देंगे, दस्तावेज जमा करने में मदद करेंगे, और अगर जरूरी हो तो आपके लिए घर तक जाकर भी जांच करेंगे। यह निर्वाचन आयोग की नई नीति है — अब वोटर को दोषी नहीं, बल्कि समाधान देने वाला बनाया जा रहा है।
नीतीश कुमार और डॉ. अशोक लवासा के बयान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "सरकार सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी योग्य मतदाता वोट देने से वंचित न रहे। जिनके नाम गलती से हटाए गए हैं, उन्हें तुरंत बहाल किया जाएगा।" यह बयान एक राजनीतिक संकेत भी है — बिहार में लगभग 1.2 करोड़ मतदाता 18-25 वर्ष के नए वोटर हैं, और उनके नाम जोड़ने की जिम्मेदारी अब सरकार पर है।
दूसरी ओर, निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त डॉ. अशोक लवासा ने NDTV को बताया, "मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि कानूनी नागरिकों को वोट देने का अधिकार न मिलने से वंचित न किया जाए।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर दस्तावेज भेजने की समय सीमा बढ़ा दी जाए, तो यह त्रुटियों को कम कर सकता है।
अंतिम सूची और अगले कदम
अब तक के सभी आपत्तियों का निपटारा 15 नवंबर 2025 तक हो जाएगा। अंतिम मतदाता सूची 20 नवंबर 2025 तक तैयार हो जाएगी। इसके बाद ही बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखें घोषित की जाएंगी — जिसकी उम्मीद दिसंबर के पहले सप्ताह में है।
अब तक के आंकड़े दिखाते हैं कि बिहार चुनावी पारदर्शिता में एक नया मोड़ ले चुका है। लेकिन चुनौती अब भी बाकी है — क्या ये 35,000 नाम वापस आएंगे? क्या नए वोटर आसानी से जुड़ पाएंगे? और क्या राजनीतिक दल इस सूची को बराबरी से इस्तेमाल करेंगे? अगले दो हफ्ते बिहार के लिए निर्णायक होंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या मैं अपना नाम फिर से जोड़ सकता हूं अगर यह हटा दिया गया है?
हां, अगर आपका नाम दस्तावेजों की कमी के कारण हटाया गया है, तो आप 10 नवंबर 2025 तक फॉर्म-6 भरकर अपना नाम वापस जोड़ सकते हैं। आप ऑनलाइन ceoelection.bihar.gov.in या electoralsearch.eci.gov.in पर जा सकते हैं, या अपने BLO से संपर्क कर सकते हैं।
कौन-से दस्तावेज स्वीकार्य हैं?
आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, बैंक पासबुक, बिजली बिल, निवास प्रमाण पत्र, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस स्वीकार्य हैं। इनमें से कम से कम एक दस्तावेज आवश्यक है। अगर आपका दस्तावेज डिजिटल नहीं है, तो आप उसकी प्रिंटेड कॉपी जमा कर सकते हैं।
क्या फॉर्म-7 के आधार पर हटाए गए नाम वापस आ सकते हैं?
नहीं, फॉर्म-7 के आधार पर हटाए गए नाम अगर गलत नहीं हैं, तो वापस नहीं आते। इनमें शामिल हैं वे लोग जिनका नाम गलत तरीके से जोड़ा गया था — जैसे कि वे उस इलाके में नहीं रहते, या वे पहले से दूसरी सूची में हैं। इनके लिए अपील का कोई रास्ता नहीं है।
क्या बिहार की मतदाता सूची अब पूरी तरह सही है?
आयोग कहता है कि यह सबसे पारदर्शी और सटीक सूची है जो बिहार में कभी बनी है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी भी 10-15 लाख नए वोटर जोड़े जाने चाहिए, खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए। अभी भी कई गांवों में बूथ लेवल ऑफिसर नहीं हैं — यह एक अभी तक अधूरी योजना है।
Pranav s
नवंबर 4, 2025 AT 19:15yaar ye sab kya batein hain, 35k logon ka naam hat gaya aur ab koi nahi bata raha ki unki kya hui? Sab bhaiya bhaiya karke ek taraf, aur dusri taraf ye ghatiya system!
Ali Zeeshan Javed
नवंबर 6, 2025 AT 16:44dekho yaar, ye jo 35,000 log hain, unme se zyadatar rural aur poor families hain jo form bharte hain par document upload nahi kar paate. BLO ko bhejna chahiye unke ghar pe, online hi kaise solve hoga? Ye system toh sirf city ke logon ke liye hai.
Aditya Ingale
नवंबर 6, 2025 AT 17:31ye toh ek drama hai! Pehle 1.2 crore duplicate the, ab 47 lakh hata diye, aur ab 35k logon ka naam hat gaya kyunki unke paas Aadhaar ka scan nahi tha? Bhai, jinke paas mobile bhi nahi hai, unke paas scanner kaise hoga? Ye government ki soch hi galt hai.
Prathamesh Potnis
नवंबर 7, 2025 AT 05:31ye sab kuch sahi hai, lekin ek baat batao - kya ye 35,000 logon ko kisi ne pata chala ki unka naam hat raha hai? Ya phir sirf ek notice aayi aur unki zindagi badal gayi? Human touch kahan hai?
Shreya Prasad
नवंबर 8, 2025 AT 18:13ye process transparent hai, aur agar kisi ka naam hat gaya hai toh 10 November tak form-6 bharna hai. Yeh ek chance hai, aur ye ek responsibility bhi. Har voter ko apna kaam khud karna hoga.
Srujana Oruganti
नवंबर 9, 2025 AT 06:42phir se yahi baat... sab logon ko ek hi tarah ka treat karte hain. Rural areas mein toh koi BLO nahi hota, aur agar hota bhi hai toh wo kuch samajh nahi pata. Ab ye sab kya hai? Political game hai ya voter empowerment?
Aarya Editz
नवंबर 10, 2025 AT 07:21ek society ka level uski institutions se nahi, balki un logon ki treatment se pata chalta hai jo system ke bahar hain. 35,000 log jo document nahi bhej paye - unki kahaniyan kisi ke paas nahi hai. Unki awaaz kisi ne nahi uthayi.
Nithya ramani
नवंबर 12, 2025 AT 07:05ye sab sahi hai, lekin agar kisi ke paas Aadhaar nahi hai toh kya woh voter nahi ban sakta? Ye toh ek basic right hai - vote karna. Document nahi, insaan chahiye.
ritesh srivastav
नवंबर 14, 2025 AT 07:03ye sab fake voters ki baat hai. Jo log apne naam nahi dikhate, unka matlab hai woh kisi aur ke naam se vote karna chahte hain. Ye system sahi hai, aur agar koi problem hai toh wo apna kaam kare.
sumit dhamija
नवंबर 15, 2025 AT 14:35maine apna naam form-6 se add kiya tha, aur maine ek printed copy bheji thi - lekin kisi ne scan nahi kiya. Ab mujhe pata chala ki mere naam ko hataya gaya hai. Main 10 November tak jaunga, lekin ye system itna slow kyun hai?
Rahul Kumar
नवंबर 15, 2025 AT 23:29bro, maine bhi wahi kiya tha - form bhara, paper bheja, par kuch nahi hua. Ab 10 tak ka time hai, toh chalo koshish karte hain. BLO milna hai, aur bhaiya ko bolo ki ghar aao.
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
नवंबर 17, 2025 AT 11:48ye 35,000 logon ki kahani sirf ek number nahi hai - yeh ek generation ki kahani hai jo government ki taraf se bhool gayi gayi hai. Ek system jo logon ko punish karta hai, na ki support karta hai.
Žééshañ Khan
नवंबर 18, 2025 AT 00:21As per the constitutional mandate and electoral integrity guidelines, the removal of ineligible voters is not merely procedural but a moral imperative. The onus lies upon the individual to comply with documentation norms. Any deviation from this standard undermines the sanctity of universal suffrage.