बिहार चुनावों में कांग्रेस की नई रणनीति
पटना में आयोजित ‘अति पिछड़ी न्याय संकल्प’ कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि अब कांग्रेस का फोकस व्यापक घोषणाओं से हटकर एक स्पष्ट, सामुदायिक‑आधारित एजेन्डा की ओर बदल रहा है। छह‑बिंदु ‘टेलंगाना वादा’ मॉडल को पीछे छोड़ते हुए, पार्टी ने एक Congress‑विश्वास‑भरा 10‑बिंदु मेनिफेस्टो तैयार किया, जो विशेष रूप से अति पिछड़ी वर्ग (EBC) को लक्ष्य बना रहा है। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि EBC वोटर बिहार में लगभग 36% मतदान शक्ति रखते हैं, और पिछले कुछ वर्षों में उनका झुकाव नितीश कुमार की JD(U) की ओर बढ़ गया है।
राहुल गांधी ने बताया कि ये बिंदु सिर्फ़ कागज़ी वादे नहीं, बल्कि ‘गारंटी’ हैं, जो INDIA मोर्चा जीतने पर तुरंत लागू की जाएँगी। तेजस्वी यादव ने इस पहल को दोनों दलों की मिलती‑जुलती राजनीति के रूप में पेश किया, यह बताते हुए कि यह गठबंधन सिर्फ़ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई भी है।

10‑बिंदु ‘अति पिछड़ी न्याय संकल्प’ के मुख्य बिंदु
मेनिफेस्टो के प्रमुख बिंदुओं को दो हिस्सों में बाँटा गया है: कानूनी‑सुरक्षा उपाय और सामाजिक‑आर्थिक लाभ। कार्यक्रम में इन बिंदुओं को विस्तार से समझाया गया, और कई पत्रकारों ने इसे EBC वोटर को फिर से आकर्षित करने की योजना बताया। नीचे इन दस बिंदुओं का सारांश दिया गया है:
- भेदभाव‑रोकथाम के लिये एक विशेष EBC विरोधी अपराध रोकथाम अधिनियम पारित करना, जिससे जातीय उत्पीड़न की शिकायतें तेज़ी से दायर हों।
- अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में EBC छात्रों के लिये आरक्षण लागू करना, जिससे वे बेहतर शिक्षा तक पहुंच सकें।
- पंचायती और शहरी स्थानीय निकायों में EBC आरक्षण को 20% से बढ़ाकर 30% करना।
- सरकारी नौकरी में ‘नॉट फाउंड सुटेबल’ जैसी अनियमित भर्ती प्रथा को खत्म करना।
- निजी स्कूलों में आरक्षित सीटों में से आधे हिस्से को SC/ST/OBC/EBC बच्चों को उपलब्ध कराना।
- शिक्षा में अतिरिक्त सहायता जैसे मुफ्त ट्यूशन, पुस्तकें और डिजिटल लैब्स प्रदान करना।
- कम आय वाले EBC परिवारों को सस्ती आवास योजना में प्राथमिकता देना।
- सरकारी ठेके‑बोर्ड में EBC उद्यमियों को प्रोसेसिंग और बिडिंग में विशेष सुविधा देना।
- महिला और बेरोजगार युवा के लिये मासिक भत्ता योजना लांच करना, जिससे गरीबी‑चक्र तोड़ा जा सके।
- हर परिवार को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज देना और बीहारी प्रवास को रोकने के लिये स्थानीय रोजगार सृजन कार्यक्रम शुरू करना।
इन बिंदुओं को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने अब ‘समुदाय‑की‑आवाज़’ को सीधे सुनने की कोशिश की है। फ़ैज़न अहमद, वरिष्ठ पत्रकार, ने बताया कि पिछले चुनावों में EBC वर्ग का समर्थन धीरे‑धीरे JD(U) की ओर गया, इसलिए अब कांग्रेस को इस वर्ग को फिर से जीतने के लिये ठोस नीति‑आधारित वादे चाहिए।
जैसे ही इस मेनिफेस्टो का प्रचार शुरू हुआ, पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता और स्वयंसेवकों ने खुद को ‘EBC के दोस्त’ कह कर प्रचार शुरू किया, जिससे अक्सर ग्रामीण बाजारों और कस्बों में बड़े भीड़ इकट्ठा हो रही है। इस गति को देखते हुए बाकी विपक्षी पार्टियों ने भी अतिरिक्त कल्याणकारी उपायों की घोषणा की है, जैसे कि महिलाओं के लिये मुफ्त साक्षरता पाठ्यक्रम और बेरोजगार युवाओं के लिये कौशल प्रशिक्षण केंद्र।
भविष्य में इस मेनिफेस्टो के प्रभाव को देखना बाकी है, लेकिन यह ज़रूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी मंच को बहुत ही टैक्टिकल ढंग से पुनः परिभाषित किया है, ताकि वह बिहार की सबसे बड़ी वोट‑बेस पर पुनः छाप छोड़ सके।