धनतेरस 2025: 18 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त व 4 अनिवार्य खरीदारी

अक्तू॰ 12, 2025
raja emani
धनतेरस 2025: 18 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त व 4 अनिवार्य खरीदारी

जब धनतेरस 2025दिल्ली का शुभ मुहूर्त आया, तो घर‑घर में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। इस साल धनतेरस शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जबकि त्रयोदशी तिथि दोपहर 12:18 बजे शुरू होकर अगले दिन 1:51 बजे तक चलेगी। यही समय शॉपिंग का सबसे अनुकूल माना जाता है, और कई लोग इस अवधि में नई चीज़ें लेकर घर में समृद्धि को आमंत्रित करने की उम्मीद करते हैं।

धनतेरस 2025 का पंचांग और मुहूर्त

ड्रिक पंचांग के अनुसार, 18 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 12:18 PM पर होता है और यह 1:51 PM तक जारी रहता है। इसी दौरान जागरन और ड्रिक पंचांग ने समान तिथियों की पुष्टि की है। खरीदारी का शुभ समय 18 अक्टूबर को 1:20 PM से 19 अक्टूबर को 1:54 PM तक बताया गया है।

नयी दिल्ली में पूजा का मुख्य मुहूर्त 18 अक्टूबर को शाम 7:16 PM से 8:20 PM तक रहेगा, जबकि प्रादोश काल 5:48 PM से 8:20 PM तक चलेंगे। यह सभी समय‑सारिणी स्थानीय ज्योतिषियों द्वारा गणना की गई है, जिससे हर घर में सही समय पर रिवायतें करने में मदद मिलेगी।

शुभ खरीदारी: कौन‑सी 4 चीज़ें लाएँ

जागरन के रिपोर्ट के मुताबिक, इस धनतेरस पर चार प्रमुख वस्तुएँ लाना विशेष लाभ देता है:

  1. सोना‑चांदी के आभूषण – वित्तीय वृद्धि अनिवार्य माना जाता है।
  2. नए बर्तनों का सेट – नई शुरुआत का प्रतीक।
  3. देवियों‑देवताओं की मूर्तियाँ – विशेषकर माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी सरस्वती की संयुक्त प्रतिमा। कीमतें ₹1,100‑₹6,100 के बीच होती हैं।
  4. राशि‑विशिष्ट वस्तु – कुंभ (एक्वेरियस) राशि वालों को विशेष रूप से शुकरिया पत्थर या नीले मणि की सलाह दी गई है।

ऐसे कहा जाता है कि इन चार चीज़ों को घर में लाने से धन‑संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है, जैसा कि आजतक ने 8 अक्टूबर 2025 के अपने एस्ट्रोलॉजिकल रिपोर्ट में बताया।

भभलगुर से विशेष टिप्पणी: दीपक कुमार का दृष्टिकोण

भभलगुर के गुरुद्वारा रोड पर स्थित बर्तनों के व्यापारी दीपक कुमार, उपकरण व्यवसायी ने कहा, "बाजार में माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी सरस्वती की संयुक्त प्रतिमाएँ भी खूब बिक रही हैं। इनकी कीमत 1,100 से 6,100 रुपये तक है। यह त्रिमूर्ति की पूजा घर में समृद्धि, विद्या और विद्यमान धन का संग बनाती है।" उन्होंने यह भी कहा कि नए बर्तनों में निवेश करने से रसोई में शान बढ़ती है और यह घर के माहौल को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

ऐतिहासिक और ज्योतिषीय महत्व

ऐतिहासिक और ज्योतिषीय महत्व

सनातन परम्परा के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनत्रयोदशी कहा जाता है और यह दीपावली के पंचमहापर्वों की शुरुआत का संकेत देती है। इस दिन दंवंतरी (धन्वंतरि), गणेश, लक्ष्मी, कुबेर और यम देवता की विशेष पूजा की जाती है।

जागरन ने बताया कि इस वर्ष कई शुभ योग बनेंगे, जिनमें सबसे प्रमुख ब्रह्म योग है, जो माँ लक्ष्मी की कृपा बरसाने का वादा करता है। इसके अलावा, शुक्र‑बुध की युति और शनि‑राहु का संयोग भी धन‑वृद्धि के संकेतक माने जा रहे हैं।

आगामी दिवाली समारोह और समय‑सारिणी

धनतेरस के बाद क्रमशः छोटी दिवाली 19 अक्टूबर (रविवार) और मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर (सोमवार) मनाई जाएगी। लाइव हिंदुस्तान के अनुसार, मुख्य दिवाली का पूजा मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 7:10 PM से 9:10 PM तक रहेगा, और यह वृश्चिक लग्न में होगा। यह समय‑सारिणी घर‑घर में दीप जलाने, लक्ष्मी पूजन और मिठाइयों की भरमार को सुगम बनाती है।

इसलिए, यदि आप इस वर्ष धनतेरस और दीवाली के बीच के तीन‑दिवसीय उत्सव को पूरी तैयारी के साथ मनाना चाहते हैं, तो ऊपर बताई गई चार वस्तुओं को आज़माएँ और अपने घर में समृद्धि के द्वार खोलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धनतेरस 2025 की खरीदारी से कौन‑से लाभ मिलते हैं?

इस वर्ष सोना‑चांदी या नई चीज़ें खरीदने से धन‑सम्पत्ति में 13 गुना तक वृद्धि का विश्वास है। साथ ही, बर्तनों या मूर्तियों की खरीदारी से घर में सकारात्मक ऊर्जा और दीर्घकालिक स्थिरता बनती है।

कुंभ राशि के लोग कौन‑सी वस्तु को प्राथमिकता दें?

कुंभ राशि वालों को शुकरिया पत्थर, नीला मणि या नीले रंग के सजावटी सामान लाना सलाह दिया गया है, क्योंकि इनकी ऊर्जा औद्योगिक विचारों और वित्तीय प्रगति से जुड़ी मानी जाती है।

धनतेरस का मुख्य पूजा मुहूर्त कैसे निकाला जाता है?

ज्योतिषी ट्रायडोशी तिथि के अंतर्गत सूर्य और चंद्रमा के विशेष अंतराल को देखते हैं। इस साल दिल्ली में 18 अक्टूबर को शाम 7:16 PM‑8:20 PM को मुख्य मुहूर्त बताया गया है, जिससे आरती‑अर्चना का समय निर्धारित होता है।

धनतेरस 2025 में कौन‑से प्रमुख योग बनेंगे?

ब्रह्म योग की प्रमुखता है, साथ ही शुक्र‑बुध, शनि‑राहु की अनुकूल युति बनती है। ये सभी योग मिलकर माँ लक्ष्मी की कृपा को तेज़ी से घर‑घर में प्रवाहित करने की संभावना रखते हैं।

दिवाली के दो मुख्य तिथियों का समय‑सारिणी क्या है?

छोटी दिवाली 19 अक्टूबर को शाम 6:45 PM‑8:45 PM तक मनाई जाती है, जबकि मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर को 7:10 PM‑9:10 PM (वृषभ लग्न) में प्रमुख पूजा आयोजित होती है। इन दो तिथियों में दीपावली के पाँच‑दिवसीय उत्सव की रीति‑रिवाज़ पूरी होती है।

4 Comments

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    Vineet Sharma

    अक्तूबर 12, 2025 AT 04:33

    क्या, इस साल भी वही पुरानी धंधा‑धुलाई?

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    Aswathy Nambiar

    अक्तूबर 22, 2025 AT 00:39

    धनतेरस के टाइम‑टेबल को देख कर लगता है जैसे ब्रह्मा ने कैलेंडर पर हाथ फेर दिया हो।
    हर साल वही चार चीज़ें लाने की सलाह मॉडर्न जीनियस ने लिखी है, पर असली ज़िंदादिली तो खुद की सोच में है।
    अगर सोना‑चांदी नहीं है तो कोई भी नया बर्तन या मूर्ति भी ब्रह्मा को हँसाए नहीं।
    समय तो सबको बुलाता है, पर हमारी इच्छा ही तय करती है कि वो किसको सुने।

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    Ashish Verma

    अक्तूबर 31, 2025 AT 20:46

    बिलकुल सही कहा तुमने! 🙏 लेकिन ध्यान रखो, सही मुहूर्त में बिना सही सोच के खरीदारी करने से ख़ाली हाथ नहीं, बल्कि खाली जेब मिल सकती है।

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    Ayush Dhingra

    नवंबर 10, 2025 AT 16:53

    धनतेरस का असली अर्थ तो हमें अपनी नैतिक कर्तव्य को याद दिलाना चाहिए – शुद्ध इरादे से ही पूजा‑पाठ और शॉपिंग करनी चाहिए।
    सोना‑चांदी का लालच अक्सर हमें आध्यात्मिक पथ से भटकाता है।
    नए बर्तनों को खरीदना तो ठीक है, पर अगर वो सिर्फ दिखावे के लिए हैं तो क्या फायदा?
    भविष्य में भी यही कहेंगे कि शुद्धता ही वास्तविक समृद्धि लाती है।
    तो इस बार, मन से शुद्ध रहें और फिर देखेंगे कौन‑सी वस्तु आपके घर में सच्ची खुशी लाती है।

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