मणिपुर में हिंसा के बढ़ते मामलों पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की बैठक
मणिपुर में होती जा रही हिंसा ने प्रदेश में तनाव का माहौल बना दिया है। पिछले एक सितंबर से बढ़ी इस हिंसा में अब तक नौ लोगों की जान जा चुकी है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सत्तारूढ़ विधायकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, जिसमें 24 विधायक शामिल हुए, जिनमें छह कैबिनेट मंत्री भी थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य स्थिति पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना था।
अत्याधुनिक हथियारों और ड्रोन से बम गिराए जाने जैसी घटनाओं ने मद्देनजर समूचे क्षेत्र में भय का माहौल पैदा कर दिया है। हाल ही में, जिरिबाम जिले में एक गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हुई, जिसमें एक बुजुर्ग मैतेई व्यक्ति वाई कुलाचंद्र भी शामिल थे। वहीं, चार सशस्त्र कुकि व्यक्ति और एक सशस्त्र मैतेई युवक की भी गोलीबारी में मौत हो गई। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य से मुलाकात की और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
इस बैठक में ये निर्णय लिया गया कि विधायकगण सामूहिक रूप से राज्यपाल से मिलेंगे और इसे एकजुट मांग के साथ दोबारा उठाएंगे ताकि मणिपुर में अस्थिरता को रोका जा सके। विधायकों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
मणिपुर की मौजूदा स्थिति और पुलिस की तैयारियां
मणिपुर की मौजूदा स्थिति एक गंभीर संकट का रूप ले चुकी है। ड्रोन से हमले, रोकेट से बमबारी जैसी घटनाओं ने पूरे प्रदेश को भयभीत कर दिया है। मणिपुर पुलिस ने ये तय किया है कि वे अपने उपकरणों में सुधार करेंगे, जिसमें एंटी-ड्रोन सिस्टम और अन्य उन्नत हथियार शामिल होंगे। इसके साथ ही, पुलिस द्वारा उन क्षेत्रों में सघन तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं, जहां ड्रोन और रोकेट हमले किए गए हैं।
मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से हो रही जातीय हिंसा ने कई परिवारों को उजाड़ दिया है। मई 2023 में शुरू हुए इस संघर्ष ने अब तक कई जानें लील ली हैं और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं। इस हिंसा के खिलाफ COCOMI (कोऑर्डिनेटिंग कमिटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी) ने केंद्र सरकार को पांच दिनों का अल्टीमेटम दिया है। समिति ने कहा है कि यदि सरकार ने इस समयावधि में कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे कड़े कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
प्रभावित क्षेत्रों का दौरा और लोगों से मुलाकात
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने उन्हें सुरक्षा और राहत सामग्री का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा के पीछे कई राजनीतिक और सामाजिक कारण हैं, जिनका समाधान केवल सुरक्षा बलों के माध्यम से नहीं किया जा सकता। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सांप्रदायिक सौहार्द्र और न्यायप्रियता को बढ़ावा देना शामिल है।
इस संघर्ष ने समाज के विभिन्न तबकों को भी झकझोर कर रख दिया है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच अविश्वास और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसको देखते हुए, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने भी शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है।
समाधान की दिशा में उठाए गए कदम
मणिपुर प्रशासन और पुलिस ने विभिन्न कदम उठाए हैं जो स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसमें अन्य राज्यों से पुलिस बल की मांग, पीड़ितों के लिए राहत शिविरों की स्थापना, और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाना शामिल है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने स्पष्ट किया कि वे हिंसा के दोषियों को किसी भी हाल में बख्शेंगे नहीं और कठोर कार्रवाई करेंगे।
आगामी दिनों में मणिपुर में होने वाली ये राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां यह निर्याणक होंगी कि कैसे वहां के हालात सुधरेंगे। केंद्र सरकार द्वारा स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अगर ठोस कदम उठाए जाते हैं, तो हिंसा का चक्र समाप्त हो सकता है। मणिपुर की इस मुश्किल स्थिति को देखते हुए, हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह शांति और सौहार्द्र बनाए रखने में सहयोग करे।