ऑपरेशन महादेव: कैसे भारतीय सुरक्षा बलों ने पहलगाम नरसंहार का बदला लिया
पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही थीं। लेकिन 28-29 जुलाई 2025 की रात एक बड़ी कार्रवाई ने आतंकी साजिशों को सीधा जवाब दे दिया। ऑपरेशन महादेव के तहत भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के तीन खूंखार आतंकियों को मार गिराया। ये वही आतंकी थे जिन पर अप्रैल 2025 के पहलगाम नरसंहार में 26 आम नागरिकों की हत्या का आरोप था।
करार पलट देने वाले इस मिशन का नेतृत्व चिनार कॉर्प्स ने किया। सेना को क्रेडिटेड इंटेलिजेंस मिली थी कि डाचािगाम नेशनल पार्क के पास, श्रीनगर से करीब 20 किलोमीटर दूर, तीन आतंकी छिपे हुए हैं। इस जानकारी पर एक सप्ताह तक लगातार निगरानी की गई। जुलाई 22 को आतंकियों के लोकेशन की पुष्टि हुई, जिसके बाद सब कुछ बेहद सटीक योजना के तहत हुआ।
तीनों आतंकियों की पहचान और उनका नेटवर्क
ढेर किए गए आतंकियों में सबसे बड़ा नाम था सुलमान शाह, जिसे इस हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है। उसका नाम एनआईए की पहलगाम हमले वाली चार्जशीट में भी शामिल था। बाकी दो आतंकी यासिर और अबू हमजा थे। यासिर भी इस नरसंहार से जुड़ा था जबकि अबू हमजा बीते दो सालों से एलईटी नेटवर्क में सक्रिय था।
- सुलमान शाह: पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड, NIA चार्जशीट में नाम
- यासिर: आतंकवादी नेटवर्क में शामिल लेकिन चार्जशीट में नाम नहीं
- अबू हमजा: दो सालों से लश्कर का सदस्य, कई हमलों में संदिग्ध
ये आतंकी सिर्फ जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने तक सीमित नहीं थे, बल्कि भारत के खिलाफ कट्टरपंथी रणनीति को आगे बढ़ा रहे थे।
ऑपरेशन महादेव की खासियत रही सुरक्षा बलों की तालमेल और जमीनी स्तर पर पुख्ता तैयारी। आतंकियों की हरकतों का सुराग निकालना, उनका पीछा करना और आखिरकार एकसाथ घेरकर मार गिराना किसी एक-दो एजेंसी के बस की बात नहीं थी। भारतीय सेना, सीआरपीएफ और राज्य पुलिस ने खुलकर इसमें एक-दूसरे का साथ दिया।
इस ऑपरेशन का नाम 'महादेव' कश्मीर की पहाड़ियों के उस हिस्से से लिया गया है, जहां कार्रवाई हुई थी। महादेव पीक स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का बड़ा प्रतीक है।
जैसे ही ऑपरेशन खत्म हुआ, इसका जिक्र संसद में जोरशोर से हुआ। गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में इसका उदाहरण देते हुए मोदी सरकार की आतंकवाद पर 'जीरो टॉलरेंस' नीति को रेखांकित किया। वहीं कांग्रेस की प्रियंका गांधी और विपक्ष ने अपनी दलीलें पेश कर इसे बड़े राजनीतिक संदर्भ में खड़ा किया।
पहलगाम कांड के बाद से ही पूरे क्षेत्र में डर और गुस्से का माहौल था। स्थानीय लोगों की मांग थी कि दोषियों को सख्त सजा मिले और बार-बार ऐसे हमले न हों। ऑपरेशन महादेव के बाद इलाके में सुरक्षा एजेंसियों पर भरोसा मजबूत हुआ।
फिलहाल एलईटी और दूसरे आतंकी संगठन लगातार नए लड़ाकों की भर्ती और गुप्त ठिकानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस कार्रवाई ने यह भी साफ कर दिया कि चाहे पहाड़ी इलाके हों या घना जंगल, भारतीय सुरक्षा बल आतंकियों की कोई भी चाल नाकाम करने में पीछे नहीं हटने वाले।