Pratika Rawal का ऐतिहासिक शतक: राजकोट में भारत का सबसे बड़ा वनडे स्कोर, आयरलैंड पर 304 रनों की शिकस्त

सित॰ 20, 2025
raja emani
Pratika Rawal का ऐतिहासिक शतक: राजकोट में भारत का सबसे बड़ा वनडे स्कोर, आयरलैंड पर 304 रनों की शिकस्त

435/5: राजकोट में रिकॉर्डों की बरसात, भारत ने रचा नया इतिहास

राजकोट की सपाट पिच, कड़क धूप और भारतीय टॉप ऑर्डर—नतीजा निकला 435/5 का पहाड़ और 304 रनों की सबसे एकतरफा जीतों में शुमार प्रदर्शन। भारत ने आयरलैंड के खिलाफ तीसरे वनडे में ऐसा स्कोर खड़ा किया जो अब तक किसी भी भारतीय टीम—पुरुष या महिला—ने 50 ओवर में नहीं बनाया था। केंद्र में रहीं 24 साल की ओपनर Pratika Rawal, जिन्होंने 129 गेंदों पर 154 रन ठोककर अपने वनडे करियर का पहला शतक जड़ा और सीधे रिकॉर्ड बुक में उतर गईं।

मैच की शुरुआत से ही भारत का इरादा साफ था—पहले 10 ओवर में बिना जोखिम के तेज़ शुरुआत, फिर बीच के ओवरों में लगातार स्ट्राइक रोटेशन और आख़िर में धुआंधार फिनिश। इसी प्लान ने आयरलैंड की गेंदबाज़ी को पूरी तरह तोड़ दिया। मैदान के चारों तरफ़ शॉट्स, कवर से कट और ड्राइव, स्क्वायर के पीछे तेज़ रन—रावल ने अपनी पारी में आक्रामकता और धैर्य का बेहतरीन संतुलन दिखाया।

उनके साथ कप्तान स्मृति मंधाना ने 70 गेंदों में शतक पूरा कर दिया—भारतीय महिला क्रिकेट में यह अब तक का सबसे तेज़ ODI शतक है। मंधाना ने अंत में 135 रन बनाए और यह उनका 10वां वनडे शतक रहा। इसी के साथ वह 10 ODI शतक तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

ओपनिंग जोड़ी ने 233 रनों की साझेदारी कर आयरलैंड को पहले ही सत्र में बैकफुट पर धकेल दिया। भारत ने जब टॉप गियर लगाया, तो बाउंड्री लाइन मानो सिकुड़ गई। बीच के ओवरों में भी रन गति लगभग कभी नहीं थमी—यही इस पारी की सबसे बड़ी खूबी रही।

435/5 का यह स्कोर न सिर्फ महिला क्रिकेट में भारत का सर्वोच्च है, बल्कि कुल मिलाकर भारतीय टीमों का वनडे में सबसे बड़ा स्कोर बन गया। इससे पहले पुरुष क्रिकेट में 418/5 का आंकड़ा शीर्ष पर था; राजकोट ने उस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।

हाई-स्कोरिंग खेलों में अक्सर पीछा करने वाली टीम शुरुआत में ही दबाव में आ जाती है। आयरलैंड के साथ भी यही हुआ। 132 के आसपास का औसत स्ट्राइक-रेट मांग रहा था कि वे जोखिम लें—और जोखिम ने विकेट छीने।

भारत के लिए गेंद से दीप्ति शर्मा ने 8.4 ओवर में 3/27 की सधी हुई गेंदबाजी की। नई और बीच के ओवरों में उनकी सटीक लेंथ ने आयरलैंड के मिडिल-ऑर्डर की सांसें थाम दीं। बाकी गेंदबाजों ने भी लगातार डॉट गेंदों से दबाव बनाया, नतीजा—31.4 ओवर में मेहमान टीम 131 पर ढेर। आयरलैंड की ओर से सारा फोर्ब्स ने 41 रन बनाकर कुछ देर मुकाबला ज़िंदा रखा, पर साझेदारियां नहीं टिक सकीं।

304 रनों की यह जीत भारत की महिला वनडे इतिहास में सबसे बड़ी जीतों में शामिल हुई। साथ ही, टीम ने ICC महिला चैंपियनशिप में 2 अंक जोड़े और सीरीज़ में अजेय बढ़त बना ली।

Pratika Rawal का सफर: दिल्ली की गलियों से राजकोट का रिकॉर्ड—और आगे की राह

Pratika Rawal का सफर: दिल्ली की गलियों से राजकोट का रिकॉर्ड—और आगे की राह

सितंबर 2000 में दिल्ली में जन्मीं प्रतिका रावल का क्रिकेट घर से शुरू हुआ। उनके पिता प्रदीप रावल DDCA से जुड़े बीसीसीआई लेवल-II अंपायर हैं। स्कूलिंग मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड से—और पढ़ाई में भी उतनी ही तेज़; CBSE बोर्ड में 92.5%। उसके बाद जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली से मनोविज्ञान में स्नातक—यानी क्रिकेट के साथ दिमागी तैयारी भी पूरी।

यह कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं है। रावल ने 2019 में 64वीं स्कूल नेशनल गेम्स में बास्केटबॉल का स्वर्ण जीता—बल भारती स्कूल, राजेंद्र नगर का प्रतिनिधित्व करते हुए। मल्टी-स्पोर्ट पृष्ठभूमि ने उन्हें फुटवर्क, बॉडी-बैलेंस और मैच सिचुएशन की समझ दी, जो आज उनकी ODI बल्लेबाज़ी में साफ दिखाई देती है—तेज़ी भी, और टेम्पो कंट्रोल भी।

घरेलू क्रिकेट में उन्होंने 2021 से 2024 तक दिल्ली के लिए खेला और फिर रेलवे से जुड़ गईं। भारतीय महिला क्रिकेट में रेलवे एक तरह का फिनिशिंग स्कूल रहा है—जहां मैच टेंपो, सिचुएशनल बैटिंग, और दबाव में फैसले लेने की ट्रेनिंग रोज़ मिलती है। रावल का इंटरनेशनल ग्राफ इसलिए भी तेज़ लगा कि उन्होंने घरेलू स्तर पर अलग-अलग भूमिकाएं निभाई हैं—ओपनिंग, चेज़ और डेथ ओवर फिनिशिंग तक।

राजकोट का यह शतक उनकी चौथी ODI पारी में आया—यानी सेट-अप, एडाप्टेशन और एग्ज़ीक्यूशन तीनों सही समय पर क्लिक हुए। पहली ODI में 89 रन की पारी ने संकेत दे दिए थे कि यह सिर्फ शुरुआत है। तीसरे मैच में उन्होंने उस वादे को पूरा किया।

तकनीक की बात करें तो रावल का गेम प्लान सेंसिबल है—नई गेंद पर बैकफुट से स्क्वायर-ऑफ-द-विकेट शॉट, ओवरपिच मिलते ही स्ट्रेट ड्राइव, और जैसे ही फील्ड फैली, गैप फाइंडिंग। उन्होंने 129 गेंदें खेलीं, यानी पारी को एंकर किया; उधर मंधाना ने 70 गेंदों में शतक लगाकर बॉलर-अटैक पर सीधे दबाव डाला। यही वैरिएशन आयरलैंड के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना—एक छोर पर जोखिम-मैनेज्ड संचय, दूसरे छोर पर बिना रुकावट आक्रामकता।

कप्तान मंधाना के 10 ODI शतक का माइलस्टोन भारतीय महिला क्रिकेट के लिए बड़ा संकेत है—निरंतरता। 70 गेंदों का शतक बताता है कि टीम का इरादा पावरप्ले से ही आधुनिक ODI टेंपो अपनाने का है। वर्ल्ड क्रिकेट में जहां 300 अब “पार स्कोर” नहीं माना जाता, भारत की महिला टीम ने भी अब 350-400 के टेंपो के लिए अपना बैटिंग ब्लूप्रिंट अपडेट कर दिया है।

मैच के बाद के ड्रेसिंग रूम का माहौल समझना मुश्किल नहीं—जूनियर की सेंचुरी, कप्तान का रिकॉर्ड, और टीम की सबसे बड़ी जीतों में एक। यह सिर्फ एक जीत नहीं, एक स्टेटमेंट था—कि भारत के पास नई पीढ़ी तैयार है जो बड़े स्कोर का दबाव नहीं, उसका आनंद लेती है।

रणनीतिक नज़र से देखें तो भारत ने पारी को तीन हिस्सों में बांटा—पावरप्ले में बिना विकेट गंवाए इंटेंट, 11-35 ओवर तक स्पिन के खिलाफ गैप-हंटिंग और सिंगल-डबल की बरसात, आख़िर के 15 ओवर में फिनिशिंग। स्पिनर्स पर डाउन-द-ट्रैक और स्वीप-रिवर्स स्वीप का मिलाजुला इस्तेमाल दिखा, जबकि पेसर्स के खिलाफ बैकफुट पंच काम आया। यही ऑल-राउंड हथियारबंदी आयरलैंड के पास नहीं दिखी।

गेंदबाज़ी में दीप्ति शर्मा का 3/27 सटीक योजनाबद्ध स्पेल था—स्टंप-टू-स्टंप, कम रिवॉर्ड-हाई-प्रेशर लाइन। तेज़ गेंदबाज़ों ने उछाल न होने के बावजूद लेंथ से चिपके रहकर गलत शॉट्स निकलवाए। फील्डिंग में भी भारत ने रन-सेविंग पर ध्यान रखा; यह जरूरी था क्योंकि इतने बड़े स्कोर के बाद ढील देने से विपक्षी टीम समय निकाल लेती है।

अब बात रिकॉर्ड्स की।

  • भारत का वनडे में अब तक का सर्वोच्च स्कोर: 435/5 (पुरुष/महिला—दोनों मिलाकर सबसे बड़ा)
  • सबसे तेज़ भारतीय महिला ODI शतक: स्मृति मंधाना (70 गेंदें)
  • स्मृति मंधाना: 10वां ODI शतक—इस मुकाम पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला
  • ओपनिंग साझेदारी: 233—भारतीय महिला ODI में सबसे बड़ी शुरुआती साझेदारियों में शामिल
  • भारत की सबसे बड़ी वनडे जीतों में एक: 304 रन से
  • दीप्ति शर्मा: 3/27 (8.4 ओवर)
  • आयरलैंड: 131 ऑल आउट (31.4 ओवर); सारा फोर्ब्स 41
  • आईसीसी महिला चैंपियनशिप: भारत को 2 अंक

आईसीसी महिला चैंपियनशिप में यह जीत भारत के लिए सिर्फ अंक नहीं, नेट रन रेट और टीम कॉन्फिडेंस का बूस्टर भी है। बड़े अंतर से जीतने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि अगला मैच भी आप उसी टेमपो में खेलते हैं—क्योंकि डर निकल चुका होता है।

सीरीज़ की तस्वीर साफ है—भारत ने अजेय बढ़त बना ली है। अब टीम मैनेजमेंट के पास एक और फायदा है: बेंच स्ट्रेंथ को गेम टाइम देना। बड़े टूर्नामेंट्स से पहले यह लग्ज़री कम ही मिलती है।

राजकोट की पिच पर बार-बार एक ही बात साबित होती है—अगर आपके पास शॉट्स की रेंज है और विकेट हाथ में हैं, तो आख़िरी 15 ओवर में खेल आपके नियंत्रण में आ जाता है। भारत ने ठीक यही किया। रावल और मंधाना की जोड़ी ने बेस बनाया, मिडिल ऑर्डर ने गति बनाए रखी और डेथ में रनिंग-बीच-विकेट और पावर-हिटिंग का कॉम्बो दिखा।

रावल की यह कहानी प्रेरक इसलिए भी है कि उन्होंने पढ़ाई और खेल—दोनों में तालमेल बैठाया। मनोविज्ञान पढ़ने से मैच में प्रेशर हैंडलिंग, रूटीन सेट करने और फोकस बनाए रखने में मदद मिलती है। बास्केटबॉल ने उनके एथलेटिसिज़्म और कोर स्ट्रेंथ को निखारा। और घरेलू क्रिकेट ने गेम-अवेयरनेस दी—कब रिस्क लेना है, कब एंकर करना है। यह पूरा पैकेज ही उन्हें टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर में टिकाऊ बनाता है।

आगे की राह? इस तरह की पारी के बाद विपक्षी टीमें तुरंत एनालिटिक्स से जवाब देती हैं—लाइन ऑफ स्टंप बाहर रखना, फील्ड में तीसरा व्यक्ति स्क्वायर के पीछे, और स्लोअर-बॉल्स का सूट। रावल के लिए अगली चुनौती यही होगी कि वे काउंटर-प्लान तैयार रखें—रिवर्स स्वीप, लैप, और सिंगल-डबल से स्ट्राइक रोटेशन। अभी तक जो दिखा है, उससे भरोसा बनता है कि उनके पास विकल्प मौजूद हैं।

भारतीय महिला क्रिकेट का बड़ा लक्ष्य अब सिर्फ सीरीज़ जीतना नहीं, लगातार 300+ का टेम्पो और बड़े टूर्नामेंटों में नॉकआउट दबाव में वही टेम्पलेट दोहराना है। राजकोट ने संकेत दिया है कि टीम इस दिशा में सही रास्ते पर है—जहां स्किल के साथ मानसिक मजबूती और रणनीति साथ-साथ चलती है।

और हां, यह रात प्रतिका रावल के नाम रही। चौकों-छक्कों से भरी 154 रन की पारी, ओपनिंग में 233 की साझेदारी, कप्तान का 70 गेंदों का शतक, और टीम का 435—यह सब मिलकर भारतीय महिला क्रिकेट की नई तस्वीर बनाते हैं: बेखौफ, तेज़, और लगातार सुधार करती हुई।