जब राष्ट्रीय बेटी दिवस भारत अपने चौथे रविवार पर धूमधाम से मनाया जा रहा है, तो हर घर में एक खास खुशी की लहर दौड़ जाती है। यह साल का 28 सितंबर, 2025, न सिर्फ़ एक तारीख है, बल्कि उन माँ‑बापों के लिए एक अवसर है जो अपनी बेटियों को दुनिया की सबसे क़ीमती रत्न मानते हैं।
इतिहास और पृष्ठभूमि
बेटी दिवस का विचार 1990‑के दशक में संयुक्त राज्य में उभरा, परन्तु भारत में इसको बड़े पैमाने पर अपनाया गया सिर्फ़ पिछले दो दशकों में। हर साल सितंबर का चौथा रविवार इस उत्सव का स्थायी दिन बन गया, और 2022 में इसे 25 सितंबर को मनाया गया था। लिव हिन्दुस्तान ने इस साल की सुबह 07:05 बजे रिपोर्ट किया कि यह परम्परा 2025 में 28 तारीख को जारी रहेगी।
पारम्परिक भारतीय मान्यताओं में बेटी को दो देवी‑देवताओं से जोड़ा जाता है—लक्ष्मी (धन की देवी) और दुर्गा (शक्ति की देवी)। इस कारण से कई घरों में बेटी को "घर का खज़ाना" कहा जाता है, क्योंकि वह घर में समृद्धि और सुरक्षा दोनो़ँ लाती है।
बेटी दिवस के खास संदेश और कविताएँ
अक्सर देखा जाता है कि इस दिन माँ‑बाप अपने भावनात्मक पक्ष को पूरी तरह से अभिव्यक्त करते हैं। यहाँ कुछ लोकप्रिय हिंदी कविताएँ और संदेश हैं जो सोशल‑मीडिया पर खूब शेयर होते हैं:
- "बेटी हमारे घर की रोशनी, जैसे चाँदनी रात में तारे की चमक।"
- "वो फूलों की सलाब, खुशबू से भर देती है जीवन की हर बारी।"
- "बेटी एक सच्ची धूप है, जो अंधेरों को भी उज्ज्वल कर देती है।"
ऐसे ही कई संदेशों में बेटी को "इंद्रधनुष का रंग‑बिरंगा धागा" या "सूर्य की पहली किरण" कहा जाता है। इन्हें व्हाट्सएप, फ़ेसबुक स्टेटस या इंस्टाग्राम स्टोरी में साझा किया जाता है, जिससे अभाव नहीं रहता, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी एक नई परम्परा बनती जा रही है।
अंग्रेज़ी उद्धरण: प्रेरणादायक आवाज़ें
हिंदी में भावनाओं का इज़हार अलग ही मज़ा देता है, परन्तु कुछ अंतरराष्ट्रीय विचारकों के शब्द भी इस मौके को ख़ास बनाते हैं। यहाँ कुछ उल्लेखनीय उद्धरण हैं:
Steve Maraboli ने कहा: "बेटियाँ वह फ़रिश्ते हैं जो हमें दुनिया में अच्छाई की याद दिलाते हैं और हमें बेहतर इंसान बनने के लिये प्रेरित करती हैं।" इसी तरह Clementine Paddleford ने सुझाव दिया, "बेटी को कभी ऐसी जगह पर नहीं छोड़ो जहाँ उसकी पीठ में रीढ़ की हड्डी होनी चाहिए, वह हमेशा अपने सपनों का सटीक समर्थन बनती है।" ये शब्द न सिर्फ़ भावनात्मक, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी बढ़ाते हैं।
अन्य उद्धरण जैसे जे. ली का "बेटी ऊपर से भेजा गया फ़रिश्ता है, जो दिलों को अनंत प्रेम से भर देता है" और डेनिस वैन ऑटेन की "मेरी बेटी मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है, एक छोटा सितारा जो मेरे जीवन को रोशन कर गया" भी इस दिन के सोशल‑फीड में बहुत बार दिखते हैं।
समाज और संस्थानों की भागीदारी
सरकारों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि इस खास दिन का उपयोग जेंडर‑गैप को कम करने के लिये किया जा सकता है। कई NGOs ने बेटी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर फ़ोकस्ड वर्कशॉप्स आयोजित कीं। कुछ राज्य सरकारें स्कूलों में विशेष कार्यक्रम रखती हैं, जहाँ बच्चे‑बच्ची बेटी के अधिकारों पर नाट्य‑परिचर्चा करते हैं।
व्यवसायिक दिग्गज भी इस मौके का फायदा उठाते हैं। कई ब्रांड्स ने "बेटी के लिए सुरक्षित भविष्य" थीम पर विज्ञापन चलाए और समान कार्यस्थलों के लिए साक्ष्य प्रदान किए। यह दिखाता है कि आर्थिक शक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी एक साथ चल सकती है—बिल्कुल "एक बेटी, एक भविष्य" के सिद्धांत की तरह।
भविष्य: क्या बदल रहा है?
जैसे-जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म विकसित हो रहे हैं, इस तरह के उत्सव के उत्सव में भी बदलाव आ रहा है। इस साल अधिकांश संदेश एआर (ऑगमेंटेड रियलिटी) कार्ड, मोशन ग्राफ़िक्स और AI‑जनित कविता के रूप में प्रस्तुत हुए। ये नई तकनीकें भावनाओं को नई ताज़गी देती हैं, परन्तु साथ ही मूल भावना — प्यार और सम्मान — को बरकरार रखती हैं।
आगे देखते हुए, विशेषज्ञ मानते हैं कि बेटी दिवस को केवल एक वार्षिक उत्सव नहीं, बल्कि निरंतर सशक्तिकरण के मंच के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। शिक्षा नीति में बेटियों के लिए विशेष छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य देखभाल में निःशुल्क जांच, और कार्यस्थल में मातृत्व अवकाश के बेहतर नियमों की वकालत करने वाले कदम इस दिशा में महत्त्वपूर्ण हैं।
सहज तरीके से संदेश भेजने के टिप्स
यदि आप अभी भी यह सोच रहे हैं कि इस वर्ष के बेटी दिवस पर क्या भेजें, तो यहाँ कुछ उपयोगी टिप्स हैं:
- सामान्य “हैप्पी डॉटर/डॉटर डे” से बचें; उसकी व्यक्तिगत पसंद के अनुसार कस्टमाइज़्ड इमेज चुनें।
- भौतिक कार्ड के साथ एक छोटा नोट लिखें, जो आपके दिल की धड़कन को दर्शाए।
- उसे अपने पसंदीदा गीत की प्लेलिस्ट बनाकर भेजें — यह एक छोटा संगीत‑सपोर्ट है।
- अगर आप दूरी पर हैं, तो जूम या गूगल मीट पर एक छोटा वीडियो मीटिंग रखकर एक साथ पेस्ट्री काटें, जैसे कि आप साथ हैं।
इन छोटी‑छोटी बातों से बेटी को महसूस होगा कि वह कितनी कीमती है, जैसे घर की हर दीवार पर चमकती हुई रोशनी।

Frequently Asked Questions
बेटी दिवस के मूल उद्देश्य क्या हैं?
यह दिन बेटियों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्य को उजागर करने के लिये बनाया गया है। यह अभिभावकों को अपनी प्रेमभरी भावनाएँ व्यक्त करने और समाज में जेंडर‑इक्वालिटी को आगे बढ़ाने का मंच प्रदान करता है।
क्या भारत में सरकारी स्तर पर कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं?
कुछ राज्य सरकारें स्कूली बच्चों के लिये विशेष कार्यशालाएँ, पैनल डिस्कशन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती हैं। यह कार्यक्रम अक्सर शिक्षा विभाग और महिला विकास मंत्रालय के सहयोग से चलाए जाते हैं।
विचारधारा के अनुसार किन उद्धरणों को सबसे अधिक पसंद किया जाता है?
Steve Maraboli और Clementine Paddleford के विचार विशेष रूप से लोकप्रिय हैं क्योंकि वे बेटी को "फ़रिश्ता" और "प्रेरणा" के रूप में चित्रित करते हैं, जो पारिवारिक बंधन को सुदृढ़ बनाते हैं।
बेटी दिवस पर डिजिटल संदेश कौन‑सी प्लेटफ़ॉर्म पर ज्यादा शेयर होते हैं?
व्हाट्सएप, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और हालिया टिक्टॉक पर कस्टम एनीमेशन वाले संदेश अधिकांशतः वायरल होते हैं। ये प्लेटफ़ॉर्म यूज़र्स को तेज़ी से और व्यापक रूप से अपने भावनाओं को साझा करने की सुविधा देते हैं।
क्या इस दिन से जुड़ी कोई विशेष परम्परा या रिवाज है?
परिवार अक्सर अपनी बेटी को विशेष नाश्ते की थाली या फूलों की माला देते हैं, साथ ही कुछ सांस्कृतिक क्षेत्रों में टहलने‑फिरने के लिये विशेष पिकनिक का आयोजन किया जाता है, जिससे बेटी को मूल्यवान महसूस कराते हैं।