रात के डेढ़ बजे, एक बस जिसमें 42 भारतीय उम्रा यात्री सवार थे, सऊदी अरब के मुहरास के पास एक डीजल टैंकर से टकराई। आग ने पूरी बस को जला दिया। कोई बच नहीं पाया—बस एक बच्चा, जो अमेरिका में पढ़ रहा था। और फिर शुरू हुई वो तस्वीरों की बाढ़—जिनमें से कोई भी असली नहीं थी। सऊदी अरब बस दुर्घटना की असली तस्वीरें अभी तक सोशल मीडिया पर नहीं आईं। क्योंकि वो नहीं हैं। बस AI जनित झूठ हैं।
क्या हुआ था असल में?
17 नवंबर, 2025 को रात 1:30 बजे (IST) एक बस जो मक्का से मदीना की ओर जा रही थी, मुहरास के पास, मदीना से लगभग 160 किलोमीटर दूर, एक डीजल टैंकर से टकरा गई। टक्कर के बाद तुरंत आग लग गई। बहुत से यात्री नींद में थे। कोई बचने का मौका नहीं मिला। भारतीय दूतावास, जेद्दह ने तुरंत 24x7 कंट्रोल रूम खोला। आपातकालीन नंबर: 80024-40003, 0122614093, 0126614276 और WhatsApp: 0556122301।
मृतकों में 20 महिलाएं और 11 बच्चे शामिल थे। एक परिवार के 18 सदस्य मारे गए। एकमात्र बच्चा, जिसका नाम अभी तक जारी नहीं किया गया, अमेरिका में पढ़ रहा था। न्यूडीटीवी और न्यूज24 की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह एक दुर्घटना थी—कोई ट्रैवल एजेंसी की गलती नहीं। "हम रामनगर के रहने वाले हैं। ट्रैवल एजेंसी की कोई गलती नहीं है। यह महज एक हादसा था," बताते हैं रामनगर के परिवार के सदस्य मोहम्मद आसिफ।
वायरल तस्वीरें कहाँ से आ रही हैं?
Itihas News ने 17 नवंबर, 2025 को एक विस्तृत फैक्ट-चेक रिपोर्ट जारी की: "सऊदी अरब में हुए बस हादसे की नहीं हैं ये तस्वीरें, AI निर्मित फोटो वायरल"। उन्होंने ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और टिकटॉक पर वायरल हो रही 12 तस्वीरों की जांच की। सभी एआई-जनित थीं। कुछ में असली दुर्घटना के बाद की आग लगी बस की तस्वीरें थीं—लेकिन वो इस दुर्घटना से नहीं। कुछ तस्वीरें 2018 की सऊदी बस दुर्घटना की थीं। कुछ तो पूरी तरह फिक्शनल थीं—जिनमें बच्चों के चेहरे अलग-अलग थे, पीछे के पृष्ठभूमि में गलत लाइटिंग थी।
ये तस्वीरें जानबूझकर फैलाई जा रही हैं। क्यों? क्योंकि भारतीय परिवारों का दर्द बाजार है। जब एक तस्वीर में एक माँ के बच्चे का चेहरा जला हुआ दिखे, तो लोगों का दिल टूट जाता है। और वो तस्वीर शेयर हो जाती है। बिना किसी सत्य के।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया: तेलंगाना से टीम भेजी
अ. रेवंथ रेड्डी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री, ने तुरंत अपने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि जानकारी जुटाई जाए। उनके निर्देश पर मोहम्मद अजहरुद्दीन, तेलंगाना के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, एक टीम लेकर सऊदी अरब पहुँचे। उनका काम: परिवारों की मदद करना, शवों की पहचान का इंतजाम करना, और अंतिम संस्कार का प्रबंधन।
लगभग 50 परिवारों के सदस्य हैदराबाद से सऊदी अरब जा रहे हैं। लेकिन यहाँ एक बड़ी बाधा है—शव इतने जल चुके हैं कि दिखाई नहीं देते। इसलिए डीएनए टेस्टिंग का फैसला किया गया है। परिवारों से ब्लड सैंपल लिया जा रहा है। केवल डीएनए मिलान के बाद ही डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे।
क्या मिलेगा परिवारों को?
सऊदी सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार, वे शिकारों के परिवारों को क्षतिपूर्ति देने की योजना बना रही हैं। इसके अलावा, तेलंगाना सरकार ने आर्थिक सहायता की घोषणा की है। अधिकारियों के अनुसार, यात्रा बीमा भी काम करेगा।
कुछ परिवारों को तो पहले ही 5 लाख रुपये की राशि का वादा किया गया है। लेकिन यह भी बात है कि बहुत से परिवारों के पास बीमा नहीं था। और जिनके पास था, उनके पास भी दस्तावेज नहीं हैं। अब वो दूतावास के दरवाजे पर खड़े हैं।
ये दुर्घटना क्यों इतनी भारी है?
क्योंकि यह कोई आम दुर्घटना नहीं है। यह एक पवित्र यात्रा का अंत था। ये लोग अल्लाह के दर्शन के लिए निकले थे। बहुत से लोग अपनी जिंदगी की पहली और आखिरी उम्रा पर थे। एक बूढ़ी महिला ने अपने बेटे से कहा था, "अगर मैं वहाँ से लौट गई, तो मैं तुम्हारे लिए दुआ करती रहूँगी।" वो लौटी नहीं।
यह दुर्घटना भारत के उम्रा यात्रियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। बहुत से ट्रैवल एजेंसियाँ अपनी बसों को सुरक्षा मानकों के अनुसार नहीं तैयार करतीं। बसों के टायर, ब्रेक, या ड्राइवर की थकान की जांच नहीं होती। और ये लोग—जो अपनी बचत जुटाकर यात्रा करते हैं—उनके पास कोई विकल्प नहीं होता।
अगले कदम क्या हैं?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब के साथ एक अधिकारिक बैठक की मांग की है। उनका दावा है कि सऊदी अरब के लिए यात्री बसों के लिए सख्त सुरक्षा मानक बनाने की जरूरत है। अगले हफ्ते एक भारतीय टीम सऊदी अरब के राष्ट्रीय यातायात अधिकारियों के साथ बसों की जांच करेगी।
इस बीच, भारतीय अखबार और टीवी चैनल अपनी ओर से वायरल झूठी तस्वीरों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। लेकिन ये अभियान तब तक अधूरा रहेगा, जब तक हम सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर करने से पहले उसकी जांच नहीं करेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस दुर्घटना में कितने भारतीय मारे गए?
17 नवंबर, 2025 को हुई इस दुर्घटना में 42 भारतीय नागरिक मारे गए, जिनमें 20 महिलाएं और 11 बच्चे शामिल थे। एकमात्र बच्चा जो बच गया, वह अमेरिका में पढ़ रहा था। यह संख्या भारतीय दूतावास, न्यूडीटीवी और न्यूज24 जैसे विश्वसनीय स्रोतों द्वारा पुष्टि की गई है।
वायरल तस्वीरें असली क्यों नहीं हैं?
Itihas News के फैक्ट-चेक के अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सभी तस्वीरें AI द्वारा बनाई गई हैं। कुछ तस्वीरें पुरानी दुर्घटनाओं की हैं, कुछ बिल्कुल फिक्शनल। इनमें चेहरों के बारे में असंगति, गलत प्रकाश और असली घटना के स्थान से अलग पृष्ठभूमि दिखाई देती है।
शवों की पहचान कैसे होगी?
दुर्घटना के बाद बस पूरी तरह जल गई, जिससे शव बहुत जल चुके हैं। इसलिए सऊदी अधिकारियों और भारतीय टीम ने डीएनए टेस्टिंग का फैसला किया है। हैदराबाद से लगभग 50 परिवारों के सदस्य ब्लड सैंपल लेकर जा रहे हैं। केवल डीएनए मिलान के बाद ही डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे।
क्या परिवारों को कोई मुआवजा मिलेगा?
सऊदी अरब सरकार ने अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की, लेकिन अधिकारियों के अनुसार वे क्षतिपूर्ति देने की योजना बना रही हैं। तेलंगाना सरकार ने आर्थिक सहायता का वादा किया है। साथ ही, जिन परिवारों के पास यात्रा बीमा था, उन्हें उसके तहत भुगतान मिलेगा।
भारत सरकार अगले कदम क्या उठाएगी?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब से यात्री बसों के लिए सख्त सुरक्षा मानकों की मांग की है। अगले हफ्ते एक भारतीय टीम सऊदी अरब के यातायात अधिकारियों के साथ बसों की जांच करेगी। इसके अलावा, भारतीय ट्रैवल एजेंसियों पर नियम बनाने की बात भी चर्चा में है।
क्या यह दुर्घटना रोकी जा सकती थी?
हाँ। कई अध्ययनों ने दिखाया है कि सऊदी अरब में उम्रा यात्री बसों की जांच बहुत कम होती है। टायर, ब्रेक, ड्राइवर की थकान—इन सबकी जांच नहीं होती। अगर एक बार यह जांच हो जाती, तो यह दुर्घटना नहीं होती। यह दुर्घटना नहीं, एक अवहेलना का परिणाम है।