जब भारतीय संस्कृति, भारत की सामाजिक, धार्मिक और कलात्मक जीवनशैली का समग्र रूप है Indian Culture की बात करते हैं, तो अक्सर हम इसके त्योहार, साल भर मनाए जाने वाले धार्मिक एवं सामाजिक समारोह, धर्म, आस्था और नैतिक मूल्य प्रणाली, परम्परा, पारिवारिक और सामाजिक रीति‑रिवाज और भोजन, परिवार और समारोहों में शेयर किया जाने वाला व्यंजन के चारों ओर घूमते हैं। इन चार तत्वों का जुड़ाव ही भारतीय संस्कृति को विशिष्ट बनाता है।
पहला संबंध – भारतीय संस्कृति समेटती है त्योहार. दिवाली, होली, ईद जैसी मनाएं अकेले ही सामाजिक बंधनों को मजबूत करती हैं। दूसरा संबंध – धर्म निर्धारित करता है परम्परा को; रामनवमी पर रामलीला, मकर संक्रांति पर तिलक का रिवाज यही उदाहरण हैं। तीसरा संबंध – परम्परा सुगम बनाती है भोजन को; सावन में खिचड़ी, शरद रूट में पावभाजी हर घर की पहचान बन गई है। चौथा संबंध – भोजन प्रोत्साहित करता है समुदायिक एकजुटता को, जिससे लोग एकत्रित हो कर त्यौहार के असली मज़े को महसूस करते हैं।
इन सभी कनेक्शनों को समझकर आप हमारे नीचे दिखाए गए लेखों में क्या-क्या कवरेज है, इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं। यहाँ आपको क्रिकेट, राजनीति, आर्थिक खबरें और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ त्योहारी कुशलता, वित्तीय टिप्स और यात्रा गाइड मिलेंगे—सब कुछ भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। अब आइए, इस संग्रह में छिपे विभिन्न पहलुओं को देखें और खुद को ज्ञान से सशक्त बनाएं।
इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने 70 घंटे कार्य सप्ताह पर अपनी दृढ़ स्थिति से एक बार फिर से चर्चाओं को जन्म दिया है, जोर देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत प्रगति की कुंजी है और वर्क-लाइफ बैलेंस का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने भारत में 1986 से कार्य सप्ताह को छह दिन से घटाकर पांच दिन करने पर अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रीय प्रगति के लिए समर्पण और कठिन मेहनत आवश्यक है।