When working with हमास, फ़िलिस्तीन की प्रमुख इस्लामी प्रतिरोध समूह, जो 1987 में स्थापित हुआ और राजनीतिक व सैन्य दोनों स्तर पर सक्रिय है. Also known as हमेंस, it गाज़ा पट्टी में शासन करता है और इज़राइल के खिलाफ संघर्ष में मुख्य भूमिका निभाता है. इस परिचय के बाद हम देखेंगे कि इस इकाई की संरचना, उद्देश्यों और वैश्विक प्रभाव में कैसे बदलाव आया है।
एक प्रमुख गाज़ा पट्टी, फ़िलिस्तीन का वह भाग जहाँ हमास की निरंतर शासन है और जहाँ कई बार सैन्य टॉर्नमेंट होते हैं को समझना अनिवार्य है। गाज़ा सख्त आर्थिक प्रतिबंधों और लगातार सशस्त्र टकराव का शिकार है, जिससे वहाँ की जनसंख्या की जीविका पर प्रभाव पड़ता है। इस माहौल ने हमास को सामाजिक सेवाओं में भी प्रवेश करवाया, जिससे उसकी लोकप्रियता में इज़ाफा हुआ।
हमास का राजनीतिक पहलू फ़िलिस्तीन, ज्यादातर पश्चिमी बँड और गाज़ा में विभक्त राज्य, जिसके अंतरराष्ट्रीय मान्यता के विभिन्न स्तर हैं के समग्र सिद्धांतों से गहराई से जुड़ा है। फ़िलिस्तीन के अंदर हमास और फतह जैसे समूहों के बीच शक्ति संतुलन निरंतर बदलता रहता है, जो इस बात को दर्शाता है कि किस हद तक स्थानीय राजनीति में बुर्जुआ अथवा जनध्यान को आकर्षित किया जा रहा है।
इज़राइल—इज़राइल, मध्य‑पूर्व के वह राज्य जिसने 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त की और फ़िलिस्तीनियों के साथ निरंतर संघर्ष में लगा है के बीच का संबंध हमास के मुख्य कार्यक्षेत्र को आकार देता है। इज़राइल की सुरक्षा नीतियों और हमास की रॉकेट लॉन्च रणनीति ने दोनों पक्षों में प्रतिपक्षी कूटनीति को जन्म दिया है। इस द्वंद्व के कारण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार शांति प्रस्ताव पेश हुए, लेकिन अक्सर हमास की शक्ति‑संतुलन की मांगें इन प्रस्तावों को बाधित करती हैं।
हमास की सैन्य शाखा, जो अक्सर इज़्लामिक रिज़ोनेंस फोर्स (IRF), उसकी हथियारबंद इकाई जो रॉकेट, टनल और ग्रेनेड लॉन्चर विकसित करती है के नाम से जानी जाती है, ने हाल के वर्षों में तकनीकी स्तर बढ़ाया है। IRF की रणनीतिक लक्ष्यनिरूपण तथा असुरक्षित क्षेत्रों में टनल नेटवर्क, गाज़ा‑इज़राइल सीमा पर संघर्ष को और जटिल बनाते हैं। इस बदलाव ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों को इस बात पर पुनर्विचार करने पर मजबूर किया है कि कैसे गैर‑राज्य अभिनेताओं की क्षमताएँ सीमित राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर रही हैं।
हमास की व्यापक विचारधारा को समझने के लिए मिडिल ईस्ट, वह क्षेत्र जिसमें अरब राष्ट्र, इज़राइल और कई धार्मिक स्थल शामिल हैं, तथा जहाँ झड़पों का भू‑राजनीतिक प्रभाव गहरा है का विश्लेषण आवश्यक है। यहाँ के कई राज्य, जैसे सऊदी अरब, कतर और ईरान, हमास को विभिन्न स्तर पर समर्थन या विरोध प्रदान करते हैं। इन देशों की बाहरी नीति और आर्थिक मदद ने हमास के अधिगम और संचालन को प्रभावित किया है, जिससे क्षेत्रीय शक्ति‑संतुलन में नई गतिशीलता उत्पन्न हुई।
इन सभी पहलुओं को मिलाकर हम देख सकते हैं कि हमास केवल एक सशस्त्र समूह नहीं, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक आयामों वाला एक जटिल इकाई है। नीचे दी गई लेख-समूह में आप इस समूह के इतिहास, नवीनतम घटनाक्रम, और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के विभिन्न पहलुओं को गहराई से पढ़ेंगे। इन लेखों को पढ़कर आपको यह समझ आएगा कि कैसे स्थानीय संघर्ष वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालते हैं और आगे की दिशा क्या हो सकती है।
बेरूत के दक्षिणी भाग में इज़राइल द्वारा की गई बमबारी ने इलाके में एक बार फिर से तनाव बढ़ा दिया है। सीएनएन के वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय संवाददाता बेन वेडमैन ने बताया कि यह बमबारी बहुत तीव्र थी, जो इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष की एक विस्तृत योजना का हिस्सा है। उनकी रिपोर्ट में हताहतों या क्षति के विवरण नहीं हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता साफ दिखाई गई है। इसमें अक्टूबर 7 के हमास हमले का भी जिक्र है।
इजराइल और हमास के बीच तेजी से बढ़ते हुए संघर्ष ने मिडिल ईस्ट में तनाव को और भी बढ़ा दिया है। ईरान के सहयोगियों जैसे हिज़बुल्लाह और हूथियों के संगठनों के शामिल होने की चिंता बढ़ रही है। अमेरिकी प्रशासन इस तकरार को व्यापक युध्द में तब्दील होने से रोकने के प्रयास में जुटा हुआ है।