जब बात ईरान, एक मध्य‑पूर्वी देश है जो इतिहास, तेल और जियो‑पॉलिटिक्स में प्रमुख भूमिका रखता है. इसके अलावा इसे कभी‑कभी इज़रान भी कहा जाता है, और इसकी सीमाएँ इराक, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान और पार्स सामुदायिक देशों से मिलती‑जुलती हैं. इस छोटे से परिचय से आप समझेंगे कि आगे के लेख किस दिशा में बात करेंगे.
पहले तो तेहरान, देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है, जहाँ राजनीतिक हलचल और आर्थिक नीतियों के केंद्र में अधिकांश संस्थाएँ स्थित हैं. यदि आप ईरान की नीति‑निर्धारण को समझना चाहते हैं, तो तेहरान में हुई चर्चाओं और बैठकों पर ध्यान देना ज़रूरी है. इसके बाद इस्लामिक गणतंत्र, देश की आधिकारिक शासन प्रणाली है जहां दुहिया (राष्ट्रपति) और सऊदी (उच्चतम नेता) दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है आती है. इस प्रणाली ने कई बार घरेलू और विदेश नीति को सीधे प्रभावित किया है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के जवाब में आर्थिक रणनीति बदलना.
तीसरा प्रमुख घटक तेल उद्योग, ईरान की सबसे बड़ी आय का स्रोत है और वैश्विक ऊर्जा बाजार को प्रभावित करता है है. तेल निर्यात की मात्रा, ओपेक में ईरान की हिस्सेदारी और तेल की कीमतों का उतार‑चढ़ाव सीधे देश की बाहरी व्यावसायिक स्थिति को बदलते हैं. उदाहरण के तौर पर, जब तेल कीमतें बढ़ती हैं तो ईरान को विदेशी मुद्रा में अधिक लचीलापन मिलता है, जिससे विकास योजनाओं में निवेश आसान हो जाता है.
इन तीनों घटकों—तेहरान, इस्लामिक गणतंत्र और तेल उद्योग—के बीच घनिष्ट संबंध है. तेहरान में फैली राजनैतिक चर्चा अक्सर इस्लामिक गणतंत्र की नीतियों को आकार देती है, और वही नीतियाँ तेल उद्योग के संचालन को नियमन करती हैं. यही कारण है कि एक समाचार में तेल निर्यात की खबर सुनते ही आप अक्सर आर्थिक प्रतिबंध या जलवायु नीति की चर्चा भी सुनते हैं.
अब बात करते हैं सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू की. ईरान की संस्कृति में शास्त्रीय कविता, शिल्प और पारम्परिक संगीत का बड़ा योगदान है. तेहरान की गलियों में स्थित संग्रहालय और शैलीबद्ध बाज़ार, जैसे कि ग्रैंड बाज़ार, इस समृद्ध विरासत को दिखाते हैं. इस्लामिक गणतंत्र की सामाजिक नीतियों ने कुछ क्षेत्रों में सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को सीमित किया है, परन्तु लोक कला और पारम्परिक उत्सव जैसे नवरोज़ अभी भी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं.
भूराजनीति में ईरान अक्सर मध्य‑पूर्व के शक्ति संतुलन का केंद्र बिंदु रहता है. तेल उद्योग के कारण ऊर्जा‑संबंधी गठबंधन, और इस्लामिक गणतंत्र की वैचारिक स्थिति, दोनों ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी भूमिका निर्धारित करते हैं. तेहरान में किए गए राजनयिक समझौते अक्सर तेल निर्यात के शर्तों से जुड़े होते हैं, जिससे आर्थिक और रणनीतिक दोनों ही स्तरों पर असर पड़ता है.
इन सब बातों को समझकर आप नीचे सूचीबद्ध लेखों में देख पाएंगे कि कैसे ईरान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर विभिन्न दृष्टिकोण पेश किए गए हैं. चाहे वह अंतरराष्ट्रीय बाजार की चाल हो, तेहरान की स्थानीय खबरें, या इस्लामिक गणतंत्र की नयी नीति, यहाँ आपको एक व्यापक तस्वीर मिलेगी. आगे आने वाले लेखों में हम इन पहलुओं की गहराई में जाएंगे, तो पढ़ते रहें और ईरान के कई चेहरों को करीब से देखें.
इजराइल और हमास के बीच तेजी से बढ़ते हुए संघर्ष ने मिडिल ईस्ट में तनाव को और भी बढ़ा दिया है। ईरान के सहयोगियों जैसे हिज़बुल्लाह और हूथियों के संगठनों के शामिल होने की चिंता बढ़ रही है। अमेरिकी प्रशासन इस तकरार को व्यापक युध्द में तब्दील होने से रोकने के प्रयास में जुटा हुआ है।