जब बात नवरात्रि असhtami, नवरात्रि के आठवें दिन माँ दुर्गा की अष्टमी शक्ति का उत्सव है. Also known as अष्टमी, यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा, शक्ति और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इस पेज पर आप अष्टमी के इतिहास, मन्त्र, रंग, भोग और वैदिक रीति‑रिवाज़ों के बारे में आसान भाषा में पढ़ेंगे, जिससे अपनी पूजा में आत्मविश्वास आएगा।
नवरात्रि का मूल माँ दुर्गा, शक्ति की त्रिनेत्री, जो अंधकार को प्रकाश में बदलती है से जुड़ा है और अष्टमी विशेष रूप से ब्राह्मचरिणी, माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति, जो परिपूर्ण शुद्धता और संयम का प्रतिनिधित्व करती है को समर्पित है। इस शक्ति को घर‑घर में मान्य करने के लिए सफेद रंग, शक्कर‑आधारित प्रसाद और निरंतर जप की सलाह दी जाती है। साथ ही, अष्टमी का विशेष रंग "सफेद" माना जाता है, जो शुद्धता और शांत ऊर्जा को उजागर करता है।
रंग, भाव और मंत्र का मिलान अष्टमी की पूजा को और प्रभावी बनाता है। सफेद कपड़े, शुद्ध चंदन, और हल्की फूलों की सजावट माहौल को शांति से भर देती है। अक्सर उपयोग किया जाने वाला मंत्र है "ॐ या दुर्गा नमः" जिसे 108 बार जपना लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, वैदिक ग्रन्थों में बताई गई "अष्टमी व्रत" का पालन करने से स्वास्थ्य, कैरियर और वित्तीय स्थिरता में सुधार का दावा किया गया है।
भोग की तैयारी में हल्का दूधिया घोला, बेसन के लड्डू, और शक्कर‑भरी मिठाई मुख्य हैं। इनकी तैयारी में घी, शुद्धता और शुद्ध जल का प्रयोग किया जाता है, जिससे भोग को शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ मिलते हैं। साथ में, धूप‑बत्ती जलाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा को स्थिर करने का भी उपयोग किया जाता है। यह सभी विधियाँ न केवल रिवाजों को मानती हैं, बल्कि मन को भी शांति देती हैं।
अष्टमी का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। कई गांवों में यह दिन सामुदायिक भोजन, सत्संग और कला‑कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती है। इस समय लोग आपस में बधाई संदेश भेजते हैं, ताकि हर घर में सौभाग्य और शांति का आगमन हो।
आप इस पेज पर आगे कई लेख पाएँगे जो नवरात्रि असhtami के विभिन्न पहलुओं को समझाते हैं – जैसे कि नवरात्रि दिवस 2 के ब्राह्मचरिणी की पूजा विधि, अष्टमी के रंग‑विचार, और घर में करने योग्य सरल रिवाज। इन गाइड्स को पढ़कर आप अपनी पूजा को अधिक सटीक और हृदय‑स्पर्शी बना सकते हैं। अभी से तैयारी शुरू करें और अपने घर में माँ दुर्गा की शक्ति को स्वागत करने के लिए तैयार हो जाएँ।
Navratri के आठवें दिन Maha Ashtami 30 सितंबर 2025 को पड़ रहा है। इस दिन देवी महा गौरी की पूजा विशेष महत्व रखती है। दो प्रमुख Kanya Puja मुहूर्त 5‑6 बजे और 10:40‑12:10 बजे निर्धारित हैं। शंकु‑पक्ष की तिथि 29 सितंबर शाम 4:31 बजे से शुरू होकर 30 सितंबर शाम 6:06 बजे तक चलती है।