जब देश में नई सरकार या नया प्रमुख शुरू होता है, तो सबसे पहला कदम शपथ ग्रहण, एक औपचारिक समारोह है जिसमें चयनित व्यक्ति संविधान द्वारा निर्धारित कर्तव्यों को स्वीकार करता है होता है। इसे अक्सर "सिंहासन ग्रहण" भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन ही नेता अपने कर्तव्य शुरू करता है। इस प्रक्रिया में कई संस्थाएँ जुड़ी होती हैं: राष्ट्रपति, मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में शपथ देने वाले प्रमुख व्यक्ति और प्रधानमंत्री, सरकार का प्रमुख और नीति निर्धारण का केंद्र बिंदु। साथ ही संविधान, देश के मूल नियमों का संग्रह, जो शपथ के शब्द और प्रक्रिया को परिभाषित करता है इस समारोह का आधार है।
शपथ ग्रहण का मुख्य उद्देश्य दो चीजें हैं: एक, सार्वजनिक रूप से वचन देना कि पदाधिकारियों अपने कर्तव्य ईमानदारी और संविधान के अनुरूप निभाएंगे; और दो, सभी नागरिकों को यह भरोसा देना कि सत्ता वैध रूप से सौंपी गई है। इस कारण से शपथ के शब्द अक्सर "संकल्प" या "वचन" से शुरू होते हैं और अंत में "मैं इस बात की कसम खाता/खाती हूँ कि…" जैसा वाक्यांश आता है।शपथ ग्रहण के बाद ही नए मंत्रियों को अपने मंत्रालय की जिम्मेदारियों का बोध होता है, जिससे नीति‑निर्धारण शुरू हो सकता है।
ऐतिहासिक रूप से, भारत में शपथ ग्रहण की दो मुख्य परिप्रेक्ष्य हैं: राष्ट्रपति की शपथ और प्रधानमंत्री की शपथ। राष्ट्रपति की शपथ दुनिया भर में सबसे विशिष्ट मानी जाती है क्योंकि वह संवैधानिक प्रमुख हैं, परंतु उनका कार्यकारी शक्ति सीमित है। जबकि प्रधानमंत्री की शपथ सीधे कार्यकारी शक्ति को सक्रिय करती है, जिससे संसद में बहुमत हासिल करने के बाद वह अपना मंत्रिमंडल बनाते हैं। इस दो‑स्तरीय शपथ प्रक्रिया ने भारत की लोकतांत्रिक स्थिरता को कई बार साबित किया है।
समय‑समय पर शपथ ग्रहण के स्वरूप में बदलाव भी हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, 2002 में शपथ में भारतीय झंडे को जलाना अनिवार्य किया गया, जबकि पहले यह वैकल्पिक था। हाल ही में, डिजिटल युग ने शपथ समारोह को लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से जनता तक पहुँचाया, जिससे पारदर्शिता बढ़ी। ये सभी बदलाव इस बात को दिखाते हैं कि शपथ ग्रहण सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जीवंत राजनैतिक घटना है, जो समय के साथ विकसित होती रहती है।
यदि आप शपथ ग्रहण की तैयारी कर रहे हैं या इस प्रक्रिया को समझना चाहते हैं, तो कुछ प्रमुख बिंदु मदद कर सकते हैं: पहले, शपथ के शब्दों को सही तरह से याद रखें; दूसरे, समारोह में सही पोशाक (स्मारक पोशाक) और शिष्टाचार का पालन करें; तीसरे, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संविधान के मूल नियमों की जानकारी रखें। ये तीन कदम न सिर्फ शपथ को सम्मानजनक बनाते हैं, बल्कि आपके सार्वजनिक जीवन में भी भरोसा पैदा करते हैं।
नीचे आप विभिन्न लेखों की एक संगठित लिस्ट पाएँगे, जहाँ शपथ ग्रहण से जुड़े इतिहास, कानूनी पहलू, अद्यतन प्रचलन और वास्तविक मामलों की गहरी चर्चा की गई है। यह संग्रह आपके लिये एक पूरा गाइड बन सकता है, चाहे आप छात्र हों, पत्रकार हों या राजनीति में रुचि रखने वाले सामान्य पाठक। आगे बढ़ते हुए, इन लेखों से मिलिये उन विशिष्ट घटनाओं से जिन्हें शपथ ग्रहण ने बदल दिया, और देखिए कैसे विभिन्न क्षेत्रों – खेल, व्यापार, अंतरराष्ट्रीय संबंध – में शपथ के बाद के निर्णयों ने प्रभाव डाला।
आतिशी मार्लेना ने 21 सितंबर, 2024 को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह राज निवास में हुआ और इसे उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रशासित किया। आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली तीसरी महिला और देश की 17वीं महिला मुख्यमंत्री बनी हैं।