जब हम SEBI, Securities and Exchange Board of India (भारत का प्रतिभूति नियामक), जिसे अक्सर सेबी कहा जाता है, के बारे में बात करते हैं, तो यही बात सामने आती है कि यह संस्था निवेशकों को सुरक्षित रखना, बाजार में पारदर्शिता लाना और धोखाधड़ी रोकना अपना मुख्य मिशन समझती है। SEBI की भूमिका को समझे बिना भारतीय शेयर बाजार की पूरी तस्वीर नहीं मिल सकती।
SEBI का काम सिर्फ नियम बनाना नहीं, बल्कि स्टॉक मार्केट, इक्विटी, डेरिवेटिव्स और बॉन्ड सहित सभी सार्वजनिक बाजार की दैनिक कार्यवाही को नियंत्रित करना भी है। यह संस्था कंपनियों को IPO (Initial Public Offering) लॉन्च करने से पहले कड़े चेक‑लिस्ट पर खरा उतरने को कहती है। इसी कारण IPO प्रक्रिया में निवेशकों को पर्याप्त जानकारी मिलती है और बाजार में अचानक कीमतों की तेजी या गिरावट नहीं होती। इसलिए, IPO, पहली सार्वजनिक पेशकश, जो कंपनियों को पूँजी जुटाने का मुख्य माध्यम है भी SEBI की निगरानी में सुरक्षित रहती है।
पहला फोकस है कॉरपोरेट गवर्नेंस—कंपनियों को जवाबदेह बनाना, बोर्ड संरचना में संतुलन रखना और शेयरधारकों के अधिकारों की रक्षा करना। दूसरा है इंसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाना, जिससे कंपनी के भीतर की निजी जानकारी को सार्वजनिक न होने से पहले इस्तेमाल नहीं किया जा सके। तीसरा प्रमुख क्षेत्र है म्यूचुअल फंड नियम—निवेशकों को विविधीकरण का फायदा देने वाले फंडों को सख्त मानकों पर चलना पड़ता है। ये तीनों क्षेत्रों में SEBI की नीतियां बाजार की स्थिरता को बढ़ाती हैं और निवेशकों को भरोसा दिलाती हैं।
SEBI के पास एक विशेष शक्ति है: वह एक बार नियम बना ले, तो उसे लागू करने के लिए एंफ़ोर्समेंट एजेंसियों, जैसे कि राष्ट्रीय प्रतिभूति क्लीयरिंग कॉरपोरेशन (NSE) और बंकर्स को आदेश दे सकता है। यह शक्ति सुनिश्चित करती है कि अगर कोई कंपनी या ब्रोकरेज फर्म नियम तोड़ती है, तो तुरंत दंडित हो। इस तरह के अनुशासनात्मक कदमों से बाजार में झूठी ख़बरों और फर्जी ट्रेडिंग को रोकना आसान हो जाता है। इससे निवेशकों को यह भरोसा रहता है कि उनका पैसा सुरक्षित हाथों में है।
आधुनिक युग में SEBI ने तकनीकी बदलावों को भी अपनाया है। डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म, रियल‑टाइम डेटा मॉनिटरिंग और एआई‑आधारित धोखाधड़ी पहचान प्रणाली अब सामान्य हो गई हैं। इन तकनीकों की मदद से बाजार में अनियमित लेन‑देन तुरंत पकड़े जाते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर हानि नहीं हो पाती। साथ ही, SEबी ने अक्सर नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जैसे कि ESG (पर्यावरण, सामाजिक, और शासन) मानकों को अपनाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करना। ये पहलें निवेशकों को लंबी अवधि के लाभ पहुंचाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी बढ़ाती हैं।
जब आप आगे पढ़ेंगे तो देखेंगे कि हमारे पास SEBI से जुड़ी कई लेख और अपडेट्स हैं—नई नियामक घोषणाएं, बड़ा‑छोटा मुकदमा, IPO की तैयारी, म्यूचुअल फंड में बदलाव, और निवेशकों के लिए उपयोगी टिप्स। यह कलेक्शन आपको यह समझने में मदद करेगा कि SEBI के नियम आपके निवेश पर कैसे असर डालते हैं, और आप कैसे सूचित रह सकते हैं। अब आगे बढ़िए और पढ़िए वह सब जो आपके वित्तीय फैसलों को सशक्त बनाता है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड पर ब्रोकर और डिपॉजिटरी नियमों के उल्लंघन के लिए 7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। निरीक्षण के बाद, SEBI ने कई अनियमितताओं का पता लगाया, जिनमें निवेशक शिकायतों का समाधान न होना, गलत प्रतिभूतियों का स्थानांतरण, और मार्जिन ट्रेडिंग में गलत रिपोर्टिंग शामिल है।