जब हम स्टॉक मार्केट हॉलिडे, त्यौहारों या राष्ट्रीय अवकाश के दौरान शेयर बाजार की विशिष्ट चालें और ट्रेडिंग पैटर्नछुट्टी‑ट्रेडिंग की बात करते हैं, तो यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि निवेशकों के लिए एक योजना बन जाता है। इस समय वॉल्यूम, वैल्यू और वोलैटिलिटी की धारणाएँ अलग‑अलग होती हैं, इसलिए सही समझ बिना ट्रेडिंग करना जोखिम बढ़ा सकता है।
सबसे प्रचलित उदाहरणों में दीपावली ट्रेडिंग, दीपावली के मानहुअर में स्टॉक्स को खरीद‑बेचना, जब निवेशक उत्साह से भर जाते हैं शामिल है। यह अवधि अक्सर “फेस्टिवल बूम” कहलाती है क्योंकि रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ती है, और कई कंपनियों के क्वार्टरली परिणाम भी इसी समय आते हैं। इससे छोटे‑से‑बड़े शेयरों की कीमत में तेजी या गिरावट दोनों ही हो सकती है, इसलिये इंट्री‑टाइम की रणनीति तय करना जरूरी हो जाता है।
जब ट्रेडिंग की बात आती है, तो सोना‑चांदी कीमत, पवित्र धातुओं के बाजार मूल्य, जो अक्सर आर्थिक अनिश्चितता के दौरान सुरक्षित शेल्टर माने जाते हैं भी एक अहम संकेतक बन जाता है। छुट्टियों के दौरान निवेशक अक्सर सोने‑चांदी में पोर्टफोलियो को हेज करने की सोचते हैं, इसलिए इनकी कीमत में छोटे‑छोटे उतार‑चढ़ाव भी इक्विटी बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। पिछले साल की डेटा दिखाती है कि दीपावली के आसपास सोने की कीमत में 3‑5% की उछाल देखी गई थी, जो इक्विटी में लिक्विडिटी को कम कर देती है।
एक और अनदेखा कारक RBI बैंक छुट्टियाँ, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित सार्वजनिक और वित्तीय संस्थानों की बंदी तिथियां हैं। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक ट्रांज़ैक्शन और डि‑देन चक्र में रुकावट आती है, जिससे साफ‑सुथरी डेटा उपलब्ध नहीं होती और अल्गोरिदमिक ट्रेडिंग सिस्टम भी हॉलिडे मोड में चला जाता है। इसलिए निवेशकों को इन तिथियों की पूर्वसूचना लेकर पोर्टफोलियो री‑बैलेंसिंग करनी चाहिए, नहीं तो बाजार में अचानक गड़बड़ी का सामना कर सकते हैं।
हॉलिडे‑इफ़ेक्ट का एक स्पष्ट उदाहरण Sensex और Nifty में देखा जाता है। आम तौर पर फेस्टिवल सीजन में इन इंडेक्सों की दैनिक औसत वॉल्यूम में 10‑15% की कमी आती है, जबकि वैल्यू ट्रेडिंग में वृद्धि होती है। इसका मतलब है कि बड़े संस्थागत निवेशक अधिक सावधानी बरतते हैं, जबकि छोटे निवेशक कम जोखिम वाले सेक्टरों की ओर रुख करते हैं। इस बदलाव को समझना ट्रेडर्स को बेहतर एंट्री‑एग्जिट पॉइंट्स चुनने में मदद करता है।
देशी और विदेशी कारक भी “हॉलिडे‑ट्रेडिंग” को आकार देते हैं। उदाहरण के तौर पर, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा थोक टैरिफ लागू करने की घोषणा (जैसे ट्रम्प‑टैरिफ) न केवल फार्मा शेयरों को प्रभावित करती है, बल्कि हॉलिडे‑सीजन में भारतीय मार्केट के कुल दिखावे को भी बदल देती है। इम्पोर्ट‑एक्सपोर्ट कंपनियों के स्टॉक में अचानक गिरावट या उछाल आ सकता है, जिससे निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की जरूरत पड़ती है। ऐसी गति को समझने के लिए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कैलेंडर को फेस्टिवल कैलेंडर के साथ देखना उपयोगी रहता है।
अब आप तैयार हैं इस साल की “स्टॉक मार्केट हॉलिडे” रणनीति को लागू करने के लिए। नीचे की सूची में आप देखेंगे कि कैसे अलग‑अलग त्यौहार, RBI छुट्टियाँ, सोने‑चांदी की कीमतें और अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ आपके ट्रेडिंग निर्णयों को आकार देती हैं। इन लेखों को पढ़कर आप अपनी पोर्टफोलियो को हॉलिडे‑सीजन में सुरक्षित और लाभदायक बना सकते हैं।
ईद मिलाद-उन-नबी के अवसर पर 16 सितंबर, 2024 को बीएसई और एनएसई बाजार खुले रहेंगे या नहीं, इसको लेकर भ्रम की स्थिति थी। औपचारिक सूची के अनुसार, यह दिन छुट्टी का घोषित नहीं है, इसलिए बाजार सामान्य रूप से संचालित होंगे। अगले स्टॉक बाजार की छुट्टी 2 अक्टूबर, 2024 को महात्मा गांधी जयंती पर होगी।