जब हम बेटी दिवस, हर साल 9 जनवरी को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय दिवस, जिसमें लड़कियों के अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य को प्रमुखता दी जाती है के बारे में बात करते हैं, तो यह सिर्फ एक तिथि नहीं है। यह सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक ज्वलंत संकेत है। बेटी दिवस का लक्ष्य नारी शक्ति को पहचान दिलाना, लैंगिक समानता को सुदृढ़ करना और भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षित माहौल प्रदान करना है।
इस लक्ष्य को साकार करने में कई प्रमुख सरकारी पहलें सहयोगी बनती हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, एक राष्ट्रीय मिशन जो लड़की के जन्म से लेकर शिक्षा तक के हर कदम को सुरक्षित करता है इस दिशा में सबसे बड़ा कदम है। इस योजना का मुख्य गुण यह है कि यह राज्य‑स्तर पर वित्तीय प्रोत्साहन, शैक्षिक स्कॉलरशिप और स्वास्थ्य देखभाल को जोड़ता है। साथ ही, लड़की बहन योजना, एक केंद्र‑शासित योजना जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बेटी के जन्म पर एक विशिष्ट राशि देती है आर्थिक बाधाओं को कम करने में मदद करती है। इन दोनों योजनाओं के बीच सीधा संबंध है: पहले योजना जन्म के बाद समर्थन देती है, जबकि दूसरा शिक्षा और स्वास्थ्य में निरंतर निवेश को प्रोत्साहित करता है।बेटी दिवस इन पहलों को परस्पर सुदृढ़ बनाता है, जिससे सामाजिक मान्यताओं में परिवर्तन होता है।
महिला सशक्तिकरण, यानी महिला सशक्तिकरण, लड़कियों और महिलाओं को शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत बनाना, बेटी दिवस की मूल भावना है। जब सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और लड़की बहन योजना जैसे कार्यक्रम लागू करती है, तो यह सीधे महिला सशक्तिकरण को प्रेरित करता है। उदाहरण के तौर पर, 2025 में कांग्रेस द्वारा पेश किए गए 10‑बिंदु EBC मेनिफेस्टो ने भी इस दिशा में समर्थन दिया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की पढ़ाई की दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई।
बेटी दिवस का एक और महत्वपूर्ण पहलू मीडिया और सामाजिक मंचों पर जागरूकता फैलाना है। हाल ही में "लड़की बहन योजना पर 10,000 करोड़ की बजट कटौती" वाली खबर ने इस योजना की वित्तीय चुनौतियों को उजागर किया, लेकिन साथ ही नागरिक समाज के एजेंडा में इस मुद्दे को बनाए रखा। ऐसी खबरें दर्शाती हैं कि बेटी दिवस सिर्फ समारोह नहीं, बल्कि नीति‑निर्माण, बजट वार्ता और सामाजिक संवाद के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।
ऐसे कई ठोस आंकड़े हैं जो यह साबित करते हैं कि इन पहलों का प्रभाव बढ़ रहा है: 2025 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत लगभग 30 लाख छात्राओं को स्कॉलरशिप मिली, जबकि लड़की बहन योजना ने 1.5 करोड़ लड़कियों के घरों को आर्थिक सहायता प्रदान की। इन आँकों से स्पष्ट होता है कि बेटी दिवस के साथ जुड़े कार्यक्रम न केवल सामाजिक मान्यताओं को बदल रहे हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में बदलाव भी ला रहे हैं।
अब आप नीचे दी गई सूची में विभिन्न लेख, रिपोर्ट और विश्लेषण देखेंगे जो बेटी दिवस की विभिन्न पहलों को विस्तार से बताते हैं। चाहे वह सरकारी योजना की ताज़ा अपडेट हो, सामाजिक कार्यक्रमों की सफलता कथा हो, या फिर मीडिया में इस दिन की विशेष कवरेज—सब कुछ यहाँ उपलब्ध है। इन लेखों को पढ़कर आप अपने आसपास के माहौल में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
तो चलिए, इस संग्रह में डुबकी लगाते हैं और देखते हैं कि बेटी दिवस कैसे हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है, कौन‑से कदम अभी बाकी हैं और कैसे आप भी इस बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं। नीचे सूचीबद्ध लेख आपको विस्तृत जानकारी और उपयोगी सुझाव देंगे।
28 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया गया, जहाँ भावुक संदेश, अंग्रेज़ी उद्धरण और डिजिटल कार्डों के साथ बेटी को सम्मानित किया गया।