जब बात आती है देश की सुरक्षा की, तो एक नाम हमेशा सबसे ऊपर आता है — भारतीय सेना, भारत की सशस्त्र बलों का सबसे बड़ा घटक, जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात है। ये सिर्फ एक सेना नहीं, बल्कि एक ऐसी संस्था है जिसकी हर चाल, हर निर्णय, हर जवान की धूप-बारिश में लड़ाई देश के भविष्य को निर्धारित करती है। इसकी ताकत सिर्फ बंदूकों और टैंकों में नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं में है जो अपने घरों को छोड़कर बर्फ़ वाली पहाड़ियों, रेत भरे रेगिस्तान और घने जंगलों में अपना दिन बिताते हैं।
रक्षा मंत्रालय, भारतीय सेना को संचालित करने वाली सरकारी संस्था, जो बजट, उपकरण और रणनीति की नीति बनाती है के साथ जुड़ी यह सेना आज नए युग की चुनौतियों का सामना कर रही है। ड्रोन, साइबर युद्ध, और तेज़ गति से बदलते आतंकवादी खतरे — इन सबके बीच भारतीय सेना ने अपनी तैयारी को बदल दिया है। आप जिन खबरों को पढ़ते हैं — जैसे बिहार में बाढ़ में सैनिकों की राहत मिशन, या एशिया कप में टॉस विवाद के बाद सुरक्षा बलों की तैनाती — वो सब इसी ताकत के एक हिस्से हैं।
सैन्य अभियान, भारतीय सेना द्वारा चलाए जाने वाले रणनीतिक और मानवीय अभियान, जिनमें युद्ध से लेकर आपातकालीन राहत तक के कार्य शामिल हैं अब सिर्फ युद्ध के लिए नहीं, बल्कि शांति बनाए रखने के लिए भी होते हैं। आपने सुना होगा उत्तराखंड के बर्फ़ में फंसे यात्रियों को बचाने की खबर, या बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों में सैनिकों की नावों से बचाव की गतिविधियाँ — ये सब भारतीय सेना की वो अनदेखी ताकत हैं जो आपको रोज़ाना जीवित रहने का मौका देती हैं।
इस पेज पर आपको ऐसी ही असली कहानियाँ मिलेंगी — जहाँ सैनिकों के बारे में बात हो रही है, न कि सिर्फ खबरों के शीर्षक। आप देखेंगे कि कैसे एक बेटी दिवस के दिन एक सैनिक अपने बेटी को फोन पर शुभकामनाएँ दे रहा है, या कैसे एक जवान की छुट्टी पर वापसी बारिश के कारण टाल दी गई। ये सब कहानियाँ भारतीय सेना के बारे में हैं — उनकी वीरता, उनकी तनाव, और उनकी वफादारी।
यहाँ आपको बस खबरें नहीं, बल्कि उन पीड़ितों की आवाज़ें मिलेंगी जो अपने देश के लिए खड़े हैं। आपको ये जानकारी मिलेगी कि भारतीय सेना क्या करती है, क्यों करती है, और आपके लिए ये सब कितना मायने रखता है।
ऑपरेशन महादेव के तहत भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। ये आतंकी अप्रैल 2025 के पहलगाम नरसंहार में शामिल थे, जिससे 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस कार्रवाई ने संसद में राजनीतिक बहस को भी जन्म दिया।