दशहरा एक ऐसा पर्व है जो सिर्फ राम और रावण की लड़ाई नहीं, बल्कि हर इंसान के अंदर के अहंकार, क्रोध और लालच के खिलाफ जंग का प्रतीक है। दशहरा, एक प्राचीन हिंदू त्योहार जो अच्छाई की विजय और बुराई के विनाश को मनाता है। इसे विजयदशमी भी कहते हैं, और यह दश दिनों की नवरात्रि के बाद आता है। इस दिन भारत के हर कोने में रावण के डरावने पुतले जलाए जाते हैं, जो सिर्फ एक राक्षस नहीं, बल्कि हर उस बुराई का प्रतीक है जो इंसान को अपने रास्ते से भटकाती है।
दशहरा के दो बड़े रूप हैं — दक्षिण और पूर्व भारत में इसे दुर्गा पूजा, माँ दुर्गा के रूप में शक्ति की जीत को मनाया जाता है, जो रावण जैसे अहंकारी शक्तियों को हराती हैं के रूप में मनाया जाता है, जबकि उत्तर और पश्चिम भारत में इसे राम राज्य, राम चंद्र के अयोध्या लौटने की खुशी और धर्म की स्थापना के रूप में मनाया जाता है के रूप में देखा जाता है। दोनों रूप एक ही सच को दर्शाते हैं: जब तक अच्छाई अपनी जगह बनाए रखे, बुराई कभी जीत नहीं सकती।
इस पर्व पर घरों में नई किताबें, कलमें या यहाँ तक कि कार खरीदने की परंपरा भी है — ये सब नए शुरुआत का प्रतीक हैं। बच्चे अपने स्कूल में नाटक करते हैं, लोग अपने काम के लिए शुभ मुहूर्त चुनते हैं, और कई राज्यों में राजकीय अधिकारी अपने दफ्तरों में नए दस्तावेज़ शुरू करते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि एक जीवन शैली का निर्णय है: बुराई को भूल जाओ, और अपने काम को नए जोश से शुरू करो।
दशहरा के बाद जो लोग अपने घर, दफ्तर या जीवन में नई शुरुआत करते हैं, वे अक्सर अपने आप को बदल देते हैं। यही कारण है कि इस पर्व को सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि एक जीवन बदलाव का अवसर माना जाता है। आपके लिए भी यह दिन कुछ नया शुरू करने का सही समय हो सकता है — चाहे वो एक नई आदत हो, एक नया लक्ष्य, या बस एक नया नजरिया।
इस पेज पर आपको दशहरा से जुड़ी सभी खबरें मिलेंगी — चाहे वो रावण दहन की तस्वीरें हों, दुर्गा पूजा के विधि-विधान हों, या फिर राजनीति और व्यापार में इस पर्व का क्या असर होता है। हर लेख आपको बताएगा कि यह पर्व सिर्फ आग में जलने वाले पुतले तक ही सीमित नहीं है — यह आपके अंदर के रावण को कैसे जलाना है, यही बताता है।
अक्टूबर 2025 में दिवाली, दशहरा, करवा चौथ और कई अन्य तिथियों का एक साथ जश्न, आर्थिक उत्थान और पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ भारत को नया सांस्कृतिक मंच देता है।