जब बात दिवाली, रात भर रौशनी, मिठाई और शुभकामनाओं से भरपूर भारतीय त्योहार. Also known as Deepavali, यह अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है, घर‑घर को चमकाते दीपों और पटाखों से उजागर करता है। इस उत्सव में धनतेरस, खरीदारी और निवेश से जुड़ा प्रारम्भिक दिन का खास महत्व है; लोग नई वस्तुएँ खरीदते हैं और शेयर‑मार्केट में सक्रिय होते हैं। साथ ही लक्ष्मी पूजन, समृद्धि की देवी को अर्पित विशेष पूजा दिवाली की शाम को प्रमुख रिवाज़ बन गया है। ये तीनों तत्व मिलकर दिवाली को केवल त्योहारी नहीं, बल्कि आर्थिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बनाते हैं।
अब दिवाली के बारे में बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि रौशनी का महत्त्व सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी है। लैंप जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और यही कारण है कि कई लोग इस दिन अपने व्यापार के लिए नई शुरुआत करते हैं। वित्तीय जगत में, दिवाली के आसपास शेयर‑मार्केट में तेज़ी देखी जाती है; विशेषज्ञ अक्सर इसे ‘दीपावली मुहुरत ट्रेडिंग’ कहते हैं, जहाँ निवेशकों को विशेष रेफ़रेंस प्वाइंट मिलते हैं। इसी तरह, रिवाज़ों में कन्हाई चौथा, गाईत्री व्रत और नवरात्रि के अल्पावधि भी शामिल होते हैं, जो उत्सव को और रंगीन बनाते हैं। इन सभी तत्वों के बीच का संबंध स्पष्ट है: रौशनी से प्रेरित उत्साह आर्थिक लेन-देन को बढ़ाता है, और रिवाज़ों का पालन मन को शांत रखता है, जिससे बेहतर निर्णय‑लेना आसान हो जाता है।
धनतेरस की ख़ास बात यह है कि यह दीवालियों को खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे छोटे‑मोटे व्यवसायों को बूस्ट मिलता है। इस दिन लोग सोना‑चांदी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, और घर की सजावट के सामान पर खर्च बढ़ाते हैं। परिणामस्वरूप, बाज़ार में मांग में उछाल आता है और कई स्टॉक एंट्री पॉइंट बनते हैं। साथ ही, लक्ष्मी पूजन के दौरान माँ लक्ष्मी की वाणी सुनने से घर में समृद्धि आती है, जो व्यवसायियों के लिये आत्मविश्वास का स्रोत बनता है। इसलिए, दिवाली न सिर्फ घर में रौशनी लाती है, बल्कि खरीदारियों और निवेश के माध्यम से आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। यह त्रिकोण – रौशनी, खरीदारी, और पूजन – सीधे‑सीधे एक‑दूसरे को सुदृढ़ करते हैं, जिससे उत्सव का असर जीवन के हर पहलू में पनपता है।
इन विचारों को ध्यान में रखकर आप नीचे दिखाए गए लेखों में दीपावली के विभिन्न आयामों को गहराई से पढ़ सकते हैं। चाहे आप रिवाज़ों की सही विधि जानना चाहते हों, बाजार के टिप्स चाहते हों, या सिर्फ उत्सव की तैयारी के लिए आइडिया चाहते हों, यह संग्रह आपका एक ही जगह पर समाधान देगा। अब आगे बढ़िए और हमारे विस्तृत लेखों के माध्यम से दिवाली के हर रंग को समझिए।
अक्टूबर 2025 में दिवाली, दशहरा, करवा चौथ और कई अन्य तिथियों का एक साथ जश्न, आर्थिक उत्थान और पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ भारत को नया सांस्कृतिक मंच देता है।