जब आप इन्फ्लेशन इंडेक्स, मूल्य स्तर में समय के साथ औसत बदलाव को मापता प्रमुख आर्थिक संकेतक. Also known as मुद्रास्फीति सूचकांक, it निवेशकों, नीति निर्माताओं और आम लोग को महंगाई के वास्तविक असर को समझने में मदद करता है। यह सूचकांक कई उप‑सूचकांकों से बना होता है, पर सबसे प्रमुख CPI, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, जो दैनिक किराने‑पोते की कीमतों को ट्रैक करता है और WPI, थोक मूल्य सूचकांक, जो उत्पादन स्तर पर कीमतों की गति को दर्शाता है।
इन्फ्लेशन इंडेक्स इन्फ्लेशन इंडेक्स सीधे RBI, भारतीय रिज़र्व बैंक, जो मौद्रिक नीति निर्धारित करता है की निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जब CPI तेज़ी से बढ़ता है, RBI अक्सर रेपो दर में वृद्धि कर महंगाई को नियंत्रित करने का कदम उठाता है। यह नीति‑परिवर्तन फिर Sensex, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक और Nifty, राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक को उलट दिशा में ले जा सकता है। इसलिए इन्फ्लेशन इंडेक्स, RBI नीति और शेयर बाजार के बीच एक सीधा संबंध स्थापित होता है।
जब CPI में 5 % की वृद्धि दर्ज होती है, तो आम लोगों को किराने‑पोतों, ईंधन और स्वास्थ्य सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी महसूस होती है। यही कारण है कि घर की बचत को सुरक्षित रखने के लिये कई निवेशक सोना, परम्परागत सुरक्षित निवेश, जो महंगाई के विरुद्ध बचाव प्रदान करता है और चाँदी, एक वैकल्पिक धातु, जो अक्सर अल्प‑कालिक महंगाई के संकेत पर प्रतिक्रिया देती है के बाजार में रुख करते हैं। आजकल के डेटा दिखाता है कि इन्फ्लेशन इंडेक्स बढ़ने पर सोने की कीमतें 2‑3 % तक चढ़ जाती हैं, जबकि चाँदी अक्सर अधिक तेज़ी से प्रतिक्रिया देती है। यही कारण है कि वित्तीय खबरों में इन्फ्लेशन इंडेक्स और धातु कीमतों के बीच तालमेल को खास महत्व दिया जाता है।
इन्फ्लेशन इंडेक्स का असर केवल निवेश तक सीमित नहीं है; यह सरकारी बजट, पेंशन योजना और व्याज दरों को भी आकार देता है। हाल ही में RBI ने मई 2025 की 12‑13 बैंक छुट्टियों की घोषणा की, जिससे डिजिटल लेन‑देन में बढ़ोतरी हुई, जबकि मौद्रिक नीति में बदलाव की चर्चा जारी है। इसी समय ट्रेडर ने दीपावली मुहुरत ट्रेडिंग में Sensex को 84,363 और Nifty को 25,843 तक पहुँचाया, जो इन्फ्लेशन डेटा के साथ मिलकर बाजार की दिशा को स्पष्ट करता है। इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि इन्फ्लेशन इंडेक्स आर्थिक घटनाओं की कड़ी है।
विचार करें कि भारत‑इटली रणनीतिक साझेदारी की चर्चा में महंगाई की भविष्यवाणी कैसे भूमिका निभा रही है। जब कोई देश महंगे आयात या टैरीफ घोषणा करता है—जैसे ट्रम्प की 100 % टैरिफ—तो यह इन्फ्लेशन को सीधे बढ़ा सकता है, जिससे Nifty Pharma जैसे सेक्टर में गिरावट देखी जाती है। इस तरह के कदमों का प्रभाव इन्फ्लेशन इंडेक्स में परिलक्षित होता है और फिर से शेयर बाजार, सोने‑चाँदी की कीमतों और उपभोक्ता खर्च में दिखता है।
संक्षेप में, इन्फ्लेशन इंडेक्स एक केंद्रीय मैत्री है जो CPI, WPI, RBI नीति, शेयर बाजार (Sensex, Nifty) और धातु कीमतों के बीच पुल बनाता है। इस टैग के अंतर्गत आप पाएँगे विभिन्न लेख जो इस संबंध को अलग‑अलग परिप्रेक्ष्य से उजागर करते हैं—चाहे वह खेल आयोजनों पर मौसम‑मुद्रा के प्रभाव हों, या वित्तीय आंकड़ों की गहरी पड़ताल। आगे की सूची में इन सभी पहलुओं की विस्तृत जानकारी मिलेगी, जिससे आप अपने निवेश, खर्च और भविष्य की योजना को बेहतर बना सकेंगे।
सरकार ने संपत्ति बिक्री पर पूँजीगत लाभ कर की गणना में इस्तेमाल होने वाले इन्फ्लेशन इंडेक्स को 363 से बढ़ाकर 376 कर दिया है। यह बदलाव 1 जुलाई 2024 से लागू होगा और करदाताओं की देनदारी को सीधे प्रभावित करेगा। नया इंडेक्स आयुर्वृद्धि के प्रभाव को कम करता है, जिससे कर बोझ घट सकता है। करदाताओं को अपने लेन‑देन की पुनर्गणना करनी पड़ेगी। इस लेख में नए नियम, गणना का तरीका और संभावित प्रभाव बताया गया है।