जब हम कैंसर, एक ऐसी बीमारी जो शरीर की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि के कारण होती है की बात करते हैं, तो सबसे पहले इसके लक्षण, जैसे लगातार थकान, अनजाने वजन घटना, असामान्य खून या दर्द को समझना जरूरी है। यह पहचान तभी संभव होती है जब हम निदान, बायोप्सी, इमेजिंग या रक्त परीक्षण जैसे तरीकों से रोग की पुष्टि करते हैं पर भरोसा करते हैं। उपचार तभी शुरू होता है जब सही समय पर उपचार, सर्जरी, किरण‑चिकित्सा, कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी जैसे विकल्पों को चुना जाता है। अंत में, रोकथाम, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और समय‑समय पर स्क्रीनिंग के माध्यम से बीमारी को शुरू होने से पहले ही रोकने की प्रक्रिया की भूमिका सबसे प्रभावी साबित होती है। इस प्रकार कैंसर, उसके लक्षण, निदान, उपचार और रोकथाम आपस में जुड़ी हुई त्रयी बनाते हैं, जो समुचित देखभाल के लिए ज़रूरी है।
भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में फेफड़े, स्तन, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर शामिल हैं। हर प्रकार की अपनी विशिष्टता होती है – जैसे स्तन कैंसर में माइलोइडीयल कार्सिनोमा प्रमुख है, जबकि फेफड़े के कैंसर में एडेनोकार्सिनोमा सामान्य है। यह विविधता दर्शाती है कि कैंसर केवल एक ही रोग नहीं, बल्कि कई अलग‑अलग रोग समूह है, जिनकी प्रगति, लक्षण और उपचार रणनीतियाँ अलग‑अलग होती हैं। इस विविधता को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल और उपचार योजना दोनों को प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर, प्रोस्टेट कैंसर अक्सर शुरुआती चरण में पता चलता है, इसलिए उम्र‑समूह के अनुसार नियमित प्रोस्टेट‑स्पेसिफिक एंटिजेन (PSA) टेस्ट सुझावित है।
इन प्रकारों के बीच संबंध यह है कि सभी में डिएनए में बदलाव के कारण कोशिकीय नियंत्रण तंत्र विफल हो जाता है – यह जीन परिवर्तन, ऑन्कोजीन का सक्रिय होना या ट्यूमर‑सप्रेसर जीन का निष्क्रिय होना कहलाता है। इस बदलाव को पहचानने के लिए उन्नत जीनोमिक टेस्टिंग का उपयोग किया जाता है, जो उपचार को व्यक्तिगत बनाने में मदद करता है।
जब आप इन विभिन्न प्रकारों को देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि हर कैंसर के लिए अलग‑अलग प्राथमिक कारण हो सकते हैं – धूम्रपान फेफड़े के कैंसर के लिए, हार्मोनल असंतुलन स्तन के कैंसर के लिए, और रेडिएशन या विषैले पदार्थ कोलन के कैंसर में प्रमुख हैं। यह कारण‑प्रभाव संबंध दर्शाता है कि रोकथाम में जीवनशैली में बदलाव कितना असरकारक हो सकता है।
सही समय पर निदान कैंसर के प्रबंधन में सबसे बड़ी कुंजी है। पारंपरिक विधियों में टिश्यू बायोप्सी, एक्स‑रे, सीटी‑स्कैन और एमआरआई शामिल हैं। हाल ही में लिक्विड बायोप्सी और सिंगल‑सेल सीक्वेंसिंग ने कैंसर की शुरुआती पहचान को और सटीक बनाया है। उदाहरण के तौर पर, रक्त में circulating tumor DNA (ctDNA) की मौजूदगी अक्सर शुरुआती चरण में ही पता चल जाती है, जिससे उपचार को जल्दी शुरू किया जा सकता है।
निदान प्रक्रिया केवल परीक्षणों तक सीमित नहीं है; डॉक्टर का क्लिनिकल परीक्षण, लक्षणों की समझ और रोगी का व्यक्तिगत इतिहास भी अहम भूमिका निभाते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि हर रोगी को उसकी विशेष स्थिति के अनुसार अनुकूलित उपचार मिल सके।
कैंसर के उपचार में तीन मुख्य स्तंभ होते हैं: सर्जरी, किरण‑चिकित्सा और कीमोथेरेपी। सर्जरी वह पहला कदम है जब ट्यूमर की जगह सीमित हो और पूरी तरह हटाया जा सके। फिर यदि ट्यूमर की कोशिकाएँ आसपास के टिश्यू में फैली हों, तो किरण‑चिकित्सा, हाई‑डोज़ या प्रो‑ट्रैक्टेड रेडिएशन जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है का सहारा लिया जाता है।
कीमोथेरेपी उन मामलों में उपयोग होती है जहाँ कैंसर तेजी से फैल रहा हो या मेटास्टेसिस हो चुका हो। नई पीढ़ी की ड्रग्स, जैसे टारगेटेड थैरेपी और इम्यूनोथेरेपी, कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से निशाना बनाकर कम साइड‑इफेक्ट्स के साथ प्रभावी परिणाम देती हैं। उदाहरण के लिए, PD‑1 इनहिबिटर ने मेलानोमा और लंग कैंसर में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं।
उपचार का चयन कई कारकों पर निर्भर करता है: कैंसर का प्रकार, स्टेज, रोगी की उम्र, और समग्र स्वास्थ्य। इस कारण डॉक्टर अक्सर मल्टी‑डिसिप्लिनरी टीम – किरोसर्ग, रेडियोलॉजिस्ट, हेमेटोलॉजिस्ट और पाथोलॉजिस्ट – के साथ मिलकर एक व्यक्तिगत योजना बनाते हैं।
कैंसर को पूरी तरह रोकना मुश्किल है, पर जोखिम को काफी हद तक घटाया जा सकता है। प्रमुख रोकथाम उपायों में स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, तंबाकू और शराब से परहेज, तथा समय‑समय पर स्क्रीनिंग शामिल हैं। विशेषकर फेफड़े कैंसर के लिए धूम्रपान छोड़ना सबसे बड़ा बचाव है, जबकि स्तन कैंसर के लिए हर दो साल में मैमोग्राफी करवाना काफी प्रभावी सिद्ध हुआ है।
विटामिन‑डी, फाइबर‑रिच फ़ूड और एंटी‑ऑक्सिडेंट्स युक्त खाना कैंसर‑से संबंधित सेल क्षति को कम करता है। साथ ही, तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद भी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं, जिससे शरीर को कैंसर‑सेल्स को पहचानने और हटाने में मदद मिलती है।
इन रोकथाम उपायों को अपनाते हुए, नियमित चेक‑अप और लक्षणों पर जागरूकता बनाये रखें। ऐसा करने से आप न केवल कैंसर के खतरे को कम करेंगे, बल्कि यदि रोग शुरू भी हो जाए तो जल्दी पहचान से उपचार के परिणाम बेहतर होंगे।
अब आप कैंसर के प्रकार, लक्षण, निदान, उपचार और रोकथाम के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर पा चुके हैं। नीचे दी गई सूची में हम उन नवीनतम खबरों, विश्लेषणों और विशेषज्ञों की राय को एकत्रित कर रहे हैं, जो आपके लिए इस जटिल विषय को और आसान बनाएगी। पढ़ते रहें, जानकार रहें।
मराठी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता विजय कदम का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे और पिछले डेढ़ साल से उनका इलाज चल रहा था। विजय कदम मराठी सिनेमा में अपनी प्रतिभा और विविध किरदारों के लिए जाने जाते थे। उनका निधन मराठी सिनेमा उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है।