जब हम केंद्र सरकार, भारत की कार्यकारी शक्ति जो राष्ट्रीय नीतियों, बजट और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को दिशा देती है की बात करते हैं, तो इसका असर हर नागरिक की जिंदगी में दिखता है। चाहे यह आर्थिक योजना हो या विदेश में रणनीतिक गठजोड़, सभी में एक ही एजेंसी काम करती है। केंद्र सरकार की निर्णय प्रक्रिया को समझना अब जरूरी है, क्योंकि वही भविष्य की दिशा तय करती है।
सबसे पहले आर्थिक नीति, देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए बजट, कर और वित्तीय नियमों का समुच्चय का उल्लेख करना आवश्यक है। 2025 में RBI ने बैंक छुट्टियों की पुष्टि की, जिससे डिजिटल बैंकिंग पूरी तरह चालू रही—यह आर्थिक नीति के तहत वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करने का एक उदाहरण है। इसी तरह, वित्त मंत्रालय द्वारा घोषित 4 लाख रुपये की मुआवजा योजना बाढ़ प्रभावित परिवारों की आर्थिक राहत को त्वरित बनाती है। इस प्रकार आर्थिक नीति सीधे सामाजिक कल्याण योजनाओं से जुड़ी होती है। दूसरा प्रमुख पहलू विदेशी नीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, कूटनीति और वैश्विक सहयोग को निर्धारित करने वाला ढांचा है। ग7 शिखर पर मोदी‑मेलोनी की मुलाक़ात ने भारत‑इटली रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम दिया, जबकि ट्रम्प के टैरिफ घोषणा ने फ़ार्मा सेक्टर की निर्यात क्षमता को चुनौती दी। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि विदेशी नीति आर्थिक निर्णयों को प्रभावित करती है, जैसे ट्रेडिंग में ट्रम्प‑शी टिप्पणी से Sensex में उछाल आया। रक्षा क्षेत्र के संदर्भ में रक्षा नीति, सैन्य शक्ति, सुरक्षा रणनीति और राष्ट्रीय रक्षा के लिए दी गई प्राथमिकताएँ का भी उल्लेख जरूरी है। एशिया कप 2025 में भारत की जीत ने राष्ट्रीय गर्व बढ़ाया, पर साथ ही सरकार को साइबर सुरक्षा और सीमा सुरक्षा पर ध्यान देना पड़ा। रक्षा नीति का लक्ष्य न केवल खेल में जीत है, बल्कि तकनीकी सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण भी है, जो आर्थिक योजना के साथ तालमेल में चलना चाहिए। समाज की भलाई के लिए सामाजिक कल्याण योजना, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को सुधारने वाली सरकारी पहलों का समूह केंद्रीय भूमिका निभाती है। बिहार में भारी बारिश के बाद 4 लाख रुपये की मुआवजा योजना, राष्ट्रीय बेटी दिवस पर भावुक संदेश, और धनतेरस के शुभ मुहूर्त जैसी पहलें दिखाती हैं कि सरकार सामाजिक पहलुओं को भी प्राथमिकता देती है। ये योजनाएँ आर्थिक नीति और रक्षा नीति के साथ समीकरण में आती हैं, जिससे समग्र विकास संभव हो पाता है।
ऊपर बताई गई सभी नीतियों और योजनाओं के बीच का जटिल संबंध ही यही बताता है कि केंद्र सरकार का काम केवल राजनैतिक नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा क्षेत्रों में संतुलन बनाना है। नीचे आप विभिन्न लेखों, विश्लेषणों और ताज़ा खबरों की सूची पाएँगे जो इन प्रमुख विषयों को विस्तार से कवर करती हैं—जैसे बजट अपडेट, अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन, रक्षा सुधार और सामाजिक कल्याण के नए कदम। इन संसाधनों से आपको समझ आएगा कि वर्तमान में कौन‑सी नीतियाँ असर कर रही हैं और आगे क्या बदल सकता है।
केन्द्रीय सरकार ने लड़की बहन योजना में 10,000 करोड़ रुपये की कटौती की घोषणा की। इस कदम से योजना के ऋण में इजाफा और कार्यान्वयन में देरी की आशंका बढ़ी है। विपक्षी दल और सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बजट समायोजन से महिलाओं के कल्याण पर नकारात्मक असर पड़ेगा।