जब बात नवरात्रि की आती है, तो हर भारतीय को इस नौ-दिन के उत्सव की धूम याद आती है। नवरात्रि, हिंदू कैलेंडर में नौ रातों और नौ दिनों का विशेष धार्मिक उत्सव है, जहाँ देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. इसे अक्सर "शक्तिपूजन" कहा जाता है, और यह वसंत/शरद ऋतु में दो बार आता है। नवरात्रि आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है (नवरात्रि encompasses शक्ति), ज्योतिषी गणनाएँ इस अवधि को शुभ मानती हैं (ज्योतिष influences नवरात्रि), और समुदाय में सामाजिक मेलजोल को प्रोत्साहित करता है (सामाजिक पहल requieren नवरात्रि). इसाँ से ही इस टैग पेज के नीचे कई लेख मिलेंगे जो नवरात्रि के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझाते हैं।
नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण दिन अष्टमी, नौ दिनों में आठवाँ दिवस, जहाँ देवी दुर्गा के सहस्त्रबाहु रूप की पूजा की जाती है है, जिसके बाद कन्या पूजा, एक विशेष पूजा जहाँ लड़कियों को देवी के रूप में सम्मान दिया जाता है और उन्हें आशीर्वाद दिया जाता है आती है। इन दो अनुष्ठानों के बीच देवी दुर्गा, हिंदू धर्म में शक्ति, शौर्य और मोहिनी का प्रतीक, जो नवरात्रि के नौ रूपों में प्रतीत होती है का प्रमुख स्थान होता है। अष्टमी पर दुर्गा के शक्ति रूप को सम्मानित करने के लिए नरसिंह भजन, नरकंती और नृत्य का आयोजन होता है, जबकि कन्या पूजा में घर-आँगन में रंग-बिरंगी पोशाक में बच्चियों को सुखद शब्दों के साथ पूजा किया जाता है। इन आयोजनों का लक्ष्य सामाजिक एकता, महिला सशक्तिकरण और आध्यात्मिक शुद्धि को बढ़ावा देना है—जो नवरात्रि के व्यापक उद्देश्य से जुड़ा है।
इन सबके अलावा नवरात्रि के दौरान कई लोकगीत, नृत्य और पारंपरिक व्यंजन भी तैयार होते हैं, जिससे यह उत्सव सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी बन जाता है। इस टैग पेज पर आपको नवरात्रि की तिथियों, शुद्ध परम्पराओं, आधुनिक जीवन में अनुकूलित विधियों और विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय रिवाजों की जानकारी मिल जाएगी। चाहे आप पहली बार नवरात्रि मना रहे हों या सालों से इसका अभ्यास कर रहे हों, यहाँ की जानकारी आपके लिए उपयोगी रहेगी—अब नीचे दिए गए लेखों में डुबकी लगाएँ और नवरात्रि को अपने जीवन में सही तरीके से समाहित करें।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्राह्मचरिणी की पूजा का महत्व, रंग, भोग, मंत्र और विस्तृत अनुष्ठान बताया गया है। सफेद रंग और शक्कर‑आधारित प्रसाद की पसंद, कालश स्थापना से लेकर अखंड ज्योति तक की प्रक्रिया विस्तार से समझी गई है। यह लेख घर‑घर में आसानी से अपनाने योग्य पूजा विधि प्रस्तुत करता है।