जब हम संपत्ति पूँजीगत लाभ कर, आयकर अधिनियम की धारा 45 में परिभाषित कर, संपत्ति बेचने पर उत्पन्न लाभ पर लगने वाला कर है. इसे अक्सर कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है। यह कर न केवल निजी घरों पर, बल्कि प्लॉट, अपार्टमेंट और अन्य रियल एस्टेट लेन‑देनों पर भी लागू होता है.
यह कर पूँजीगत लाभ के दो वर्ग में बाँटा जाता है – अल्पकालिक (एक वर्ष से कम) और दीर्घकालिक (एक वर्ष से अधिक). दीर्घकालिक लाभ पर 20% तक की दर लगती है, जबकि अल्पकालिक लाभ को आपकी सामान्य आय के साथ कर लगाया जाता है. इसलिए कई बार लोग सेक्शन 54, आधारित छूट योजना का उपयोग करके कर को कम करने की सोचते हैं.
पहला सेमांटिक ट्रिपल: संपत्ति पूँजीगत लाभ कर → सेक्शन 54 → रहत. सेक्शन 54 कहता है कि अगर आप बिक्री लाभ का पुनर्निवेश दो साल के भीतर घर या पाँच साल में प्लॉट में करते हैं, तो कर में पूरी तरह छूट मिलती है. दूसरा ट्रिपल: संपत्ति → आयकर अधिनियम → कनून. आयकर अधिनियम का धारा 54F उन लोगों के लिए है जिनके पास गृहस्वामित्व नहीं है; वे समान रूप से लाभ को नए घर में लगाकर कर घटा सकते हैं.
तीसरा ट्रिपल: हाउसिंग लोन छूट → संपत्ति → भुगतान क्षमता. कई लोग अपने ऋण के ब्याज को आयकर में कटौती करते हैं, जिससे प्रभावी रूप से कर योग्य आय कम हो जाती है. इसी तरह आइआरएस पोर्टल, ऑनलाइन कर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा भी इस प्रक्रिया को सरल बनाता है.
इन उपायों को समझना कठिन लग सकता है, लेकिन जब आप अपनी संपत्ति की खरीद‑बिक्री टाइमलाइन, बिक्री मूल्य और पुनर्निवेश योजना को सही से मैप कर लेते हैं, तो आप खुद ही कर बचत की रणनीति बना सकते हैं. हमारे पास इस टैक्स से जुड़ी विभिन्न मामलों की खबरें हैं – जैसे 2025 में नई रिवाइज्ड रेट, सेक्शन 54 के अपडेट या हाई‑प्रोफाइल रियल एस्टेट लेन‑दें के केस स्टडीज.
अब आप नीचे के लेखों में पाएंगे: आयकर के नवीनतम प्रावधान, पूँजीगत लाभ के वास्तविक उदाहरण, सेक्शन 54 और 54F के विस्तृत विवरण, और हाउसिंग लोन से जुड़ी कटौतियां. इन जानकारियों की मदद से आप अपने अगले प्रॉपर्टी ट्रांसैक्शन में कर बोझ घटा सकते हैं. चलिए, आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि इस टैक्स से जुड़ी कौन‑कौन सी खबरें और टिप्स आपके लिए उपयोगी हो सकती हैं.
सरकार ने संपत्ति बिक्री पर पूँजीगत लाभ कर की गणना में इस्तेमाल होने वाले इन्फ्लेशन इंडेक्स को 363 से बढ़ाकर 376 कर दिया है। यह बदलाव 1 जुलाई 2024 से लागू होगा और करदाताओं की देनदारी को सीधे प्रभावित करेगा। नया इंडेक्स आयुर्वृद्धि के प्रभाव को कम करता है, जिससे कर बोझ घट सकता है। करदाताओं को अपने लेन‑देन की पुनर्गणना करनी पड़ेगी। इस लेख में नए नियम, गणना का तरीका और संभावित प्रभाव बताया गया है।