जब हम सुप्रीम कोर्ट, भारत का सबसे उच्च न्यायालय, जो संविधान के तहत न्यायिक समीक्षा करता है. Also known as उच्चतम न्यायालय, it is the final arbiter of legal disputes in the country. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सीधे नागरिकों के जीवन को झकझोरते हैं, इसलिए इस संस्था को समझना हर भारतीय के लिए जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट न्यायपालिका, सभी अदालतों की एकीकृत प्रणाली, जो न्याय का वितरण करती है के शीर्ष पर स्थित है। यह संस्था सिर्फ सीमित मामलों तक सीमित नहीं, बल्कि सार्वजनिक हित, मानवाधिकार, आर्थिक नीतियों और सामाजिक परिवर्तन के बड़े मुद्दों पर भी हस्तक्षेप करती है। उदाहरण के तौर पर, जब भारत ने डिजिटल लेन‑देनों की दिशा में कदम बढ़ाया, तो सुप्रीम कोर्ट ने डेटा प्राइवेसी को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी, जिससे नई नीतियों का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसी प्रकार, जब पर्यावरणीय क्षतियों की बात आती है, तो अदालतें औद्योगिक प्रोजेक्टों को रोकने या शर्तें लगाने का अधिकार रखती हैं।जज, सुप्रीम कोर्ट के सदस्य, जो विशेषज्ञ कानूनी ज्ञान के आधार पर निर्णय लेते हैं इन बिंदुओं को समझाते हैं और केस‑बाय‑केस न्याय प्रदान करते हैं।
एक और महत्वपूर्ण पहलू संवैधानिक अधिकार, भर्तियों के मौलिक अधिकार, जिन्हें संविधान ने संरक्षित किया है है। सुप्रीम कोर्ट इन अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायिक समीक्षा का प्रयोग करता है, जिससे कोई भी कानून या प्रशासनिक कार्रवाई इन अधिकारों के विरुद्ध नहीं हो सके। चाहे वह लिंग समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या धर्म की आज़ादी हो, कोर्ट के फ़ैसले अक्सर सामाजिक माहौल को बदल देते हैं। उदाहरणस्वरूप, समान कार्य समान वेतन के आसपास के मुकदमों ने महिला कार्यकर्ताओं को बेहतर मुआवजा दिलवाया, जबकि LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों को मान्यता देते हुए कोर्ट ने कई प्रगतिशील आदेश जारी किए। इन सभी घटनाओं से स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ कानूनी फैसलों तक सीमित नहीं, बल्कि समग्र सामाजिक विकास का प्रेरक भी है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रियाएँ भी समझने लायक हैं। मामले, ऐसे मुद्दे जिनमें कोर्ट को सुनवाई करनी पड़ती है पेंट्रिया, सार्वजनिक याचिकाएँ या अपील के रूप में हो सकते हैं। सुनवाई की तैयारी, सबरूत पेश करना, मौखिक तर्क देना और निर्णय का इंतजार – हर कदम में कानूनी नियमों का पालन होता है। इस दौरान सुनवाई, अदालत में पक्षों के तर्कों की औपचारिक परस्पर क्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आप किसी केस में शामिल हैं या सिर्फ ज्ञान चाह रहे हैं, तो इन प्रक्रियाओं को समझना आपके लिए मददगार रहेगा।
अब आप इस पेज पर नीचे दी गई सूची में देखेंगे कि हाल की खबरें, विश्लेषण और प्रमुख फैसले कैसे इन विभिन्न पहलुओं से जुड़े हैं। चाहे वह न्यायपालिका के बड़े बदलाव हों, जजों के प्रेफरेंस, या संवैधानिक अधिकारों पर नए ढाँचे, सब यहाँ के लेखों में मिलेंगे। चलिए, नीचे के लेखों में गहराई से देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के कामकाज का वास्तविक‑दुनिया में क्या असर है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हुए कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले पर सुओ मोटो संज्ञान लिया, और सुनवाई के लिए 20 अगस्त की तारीख तय की है। यह मामला 24 वर्षीय महिला से संबंधित है, जिसे पार्क सर्कस इलाके के एक फ्लैट में कथित रूप से बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया है। पुलिस ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को शराब नीति मामले में जमानत दी। कोर्ट ने देरी को ध्यान में रखते हुए उनके जमानत की अर्जी मंजूर की और कहा कि सिसोदिया को अपनी आज़ादी के लिए अनिश्चित समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है।