जब हम वित्तीय नियम, वे प्रावधान जो वित्तीय प्रणाली, बैंकिंग, सिक्योरिटीज़ मार्केट और कैपिटल फ्लो को नियंत्रित करते हैं. Also known as वित्तीय नियमन, यह नियम निवेशकों, कंपनियों और सरकार के बीच संतुलन बनाते हैं, तो पहले समझते हैं कि ये नियम किससे जुड़े हैं। RBI, भारतीय रिज़र्व बैंक, जो मौद्रिक नीति और वित्तीय नियमों के कार्यान्वयन का प्रमुख प्राधिकारी है के पास इन नियमों को बनाना और लागू करना बड़ी जिम्मेदारी है। वही बजट, वित्तीय वर्ष में सरकार की राजस्व‑व्यय योजना, जो कर नीति और सार्वजनिक खर्च को निर्धारित करती है के माध्यम से कई नियमों को वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार ढाला जाता है। अंत में ट्रेडिंग, शेयर, बॉन्ड और डेरिवेटिव्स जैसी परिसंपत्तियों की खरीद‑बेच की प्रक्रिया, जहाँ नियामक नियमों का पालन अनिवार्य है के साथ जुड़ते हैं, क्योंकि बाजार की पारदर्शिता और निवेशक संरक्षण के लिए इन्हें नियंत्रित किया जाता है। इन तीन मुख्य घटकों का आपसी तालमेल ही वित्तीय नियमों की प्रभावशीलता तय करता है।
एक सामान्य पाठक के लिए यह जानना जरूरी है कि वित्तीय नियम सिर्फ बड़े वित्तीय संस्थानों तक सीमित नहीं होते। ये नियम हर बैंक की जमा सुरक्षा, डिजिटल भुगतान की वैधता, और शेयर‑बाजार में धोकाधड़ी रोकने में मदद करते हैं। उदाहरण के तौर पर, वित्तीय नियम की मदद से RBI ने 2025 में मई की बैंक छुट्टियों की घोषित सूची जारी की, जिससे डिजिटल बैंकिंग लगातार चालू रही और ग्राहक को असुविधा न हो। इसी तरह, बजट में लागू किए गए ‘लड़की बहन योजना’ की कटौती जैसी खबरें सीधे वित्तीय नियमन के आर्थिक प्रभाव को दिखाती हैं – चाहे वह कर में बदलाव हो या सार्वजनिक फंड का पुनः वितरण। ट्रेडिंग से जुड़े नियम, जैसे सेंसेक्स‑Nifty की ट्रेडिंग घंटे और इंट्राडे मार्जिन, निवेशकों को अचानक मूल्य गिरावट या उछाल से बचाते हैं, जैसा कि दीपावली मुहुरत ट्रेडिंग में देखा गया। इन सब उदाहरणों से साफ़ है कि वित्तीय नियम हमारे रोज़मर्रा के आर्थिक फैसलों को सुरक्षित बनाते हैं।
अब जब आप समझ गये हैं कि RBI, बजट और ट्रेडिंग कैसे वित्तीय नियमों के साथ काम करते हैं, तो नीचे दी गई सूची में पाएँगे नवीनतम समाचार, विश्लेषण और विशेषज्ञ राय जो इन नियमों के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। चाहे आप निवेशक हों, उद्यमी हों या सिर्फ एक जागरूक नागरिक, इस टैग पेज पर उपलब्ध लेख आपके लिए व्यावहारिक जानकारी और भविष्य की संभावनाओं की समझ प्रदान करेंगे। चलिए, आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि ये वित्तीय नियम वर्तमान में किन प्रमुख घटनाओं को आकार दे रहे हैं।
सरकार ने संपत्ति बिक्री पर पूँजीगत लाभ कर की गणना में इस्तेमाल होने वाले इन्फ्लेशन इंडेक्स को 363 से बढ़ाकर 376 कर दिया है। यह बदलाव 1 जुलाई 2024 से लागू होगा और करदाताओं की देनदारी को सीधे प्रभावित करेगा। नया इंडेक्स आयुर्वृद्धि के प्रभाव को कम करता है, जिससे कर बोझ घट सकता है। करदाताओं को अपने लेन‑देन की पुनर्गणना करनी पड़ेगी। इस लेख में नए नियम, गणना का तरीका और संभावित प्रभाव बताया गया है।