जब हम वित्तीय संकट, आर्थिक प्रणाली में अचानक धन की कमी, वित्तीय संस्थानों की अस्थिरता और बाजार में गिरावट की स्थिति. Also known as वित्तीय आपातकाल, it typically सख्त मौद्रिक नीति, विदेशी निवेश में झटके या बड़े ऋण डिफॉल्ट से उत्पन्न होता है। यह टैग हमारे नीचे के लेखों में दिखाए गए विविध आर्थिक घटनाओं को जोड़ता है, जैसे पूँजीगत लाभ कर में बदलाव, इन्फ्लेशन इंडेक्स का समायोजन, और टैरिफ की बढ़ोतरी।
एक प्रमुख संपत्ति पूँजीगत लाभ कर, जमीनी संपत्ति बेचने पर मिलने वाले मुनाफे पर लगाया जाने वाला कर का नया इन्फ्लेशन इंडेक्स (अब 376) से हिसाब बदलने से करदाताओं के बोझ में कमी या वृद्धि दोनों हो सकती है—ये बदलाव अक्सर वित्तीय संकट को उत्प्रेरित या घटा सकते हैं। इसी तरह, इन्फ्लेशन इंडेक्स, मूल्य स्तर की समय‑सापेक्ष वृद्धि को मापने वाला आँकड़ा सीधे स्टॉक्स, बांड और बैंकों की लिक्विडिटी को प्रभावित करता है। जब इंडेक्स तेज़ी से बढ़ता है, ऋण सेवा की लागत भी बढ़ती है, जिससे कई कंपनियों को नकदी प्रवाह में तंगी आती है—एक क्लासिक वित्तीय संकट परिदृश्य।
आर्थिक क्षरण का दूसरा बड़ा कारण टैरिफ, आयातित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले कर की अचानक बढ़ोतरी है। हाल ही में ट्रम्प की 100% फ़ार्मा टैरिफ ने Nifty Pharma इंडेक्स को 2% नीचे धकेला, जिससे घरेलू और विदेशी निवेशकों का विश्वास डगमगा गया। ऐसी नीतिगत झटके अक्सर निर्यात‑आधारित क्षेत्रों में वित्तीय तनाव पैदा करते हैं, जिससे सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पर गिरावट आती है। इसी संदर्भ में सोना‑चांदी के भाव ($4,000‑$5,000 और $55‑$60) भी सुरक्षा साधन के रूप में देखे जाते हैं, लेकिन तेज़ी से बढ़ते मूल्य निवेशकों को स्थायी एसेट में बदलने के लिए मजबूर करते हैं, जो बाजार में अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं।
इन सभी घटकों के बीच आपसी प्रभाव स्पष्ट है: वित्तीय संकट अक्सर पूँजीगत लाभ कर, इन्फ्लेशन इंडेक्स, टैरिफ और मूल्य धरणी प्रवृत्तियों के संगम से उत्पन्न होता है। यदि आप टैक्स नीति, मौद्रिक स्थिति या अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति में बदलाव देखते हैं, तो संभावना है कि ये परिवर्तन वित्तीय स्थिरता को चुनौती देंगे। हमारे संग्रह में इस टैग से जुड़े विभिन्न लेख—बैंकों की छुट्टियों से लेकर सोना‑चांदी की भविष्यवाणी, टैरिफ के प्रभाव और पूँजीगत लाभ कर के नवीनतम आंकड़े—सब आपके लिये एक व्यापक समझ प्रदान करेंगे।
नीचे आप पाएँगे उन ख़बरों और विश्लेषणों की पूरी लिस्ट, जहाँ वित्तीय संकट के विभिन्न आयामों—नीति, बाजार, निवेश और कर—को विस्तार से बताया गया है। पढ़ते रहें, ताकि आप अपने वित्तीय फैसलों को बेहतर बना सकें और संभावित जोखिमों से बचाव के उपायों से रूबरू हो सकें।
केन्द्रीय सरकार ने लड़की बहन योजना में 10,000 करोड़ रुपये की कटौती की घोषणा की। इस कदम से योजना के ऋण में इजाफा और कार्यान्वयन में देरी की आशंका बढ़ी है। विपक्षी दल और सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बजट समायोजन से महिलाओं के कल्याण पर नकारात्मक असर पड़ेगा।